युनियनच्या आधारावर डॉक्टरांचे नृत्य पहा
करून: नवल किशोर कुमार
राजनीति की परिभाषा क्या केवल यही है कि राज कैसे हासिल की जाय और फिर कैसे राज बनाए रखा जाय? या देशाचा नागरिक असलेला सामान्य माणूस यात राजकारणाचा समावेश नाही का?, त्याला त्याचा हक्क द्या?
काय झाले बुधान्मा? आज सुबह-सुबह इतने गंभीर सवाल। कुछ हुआ है क्या?
हां नवल भाई, मन बेचैन है। पटना में भी सब डॉक्टर हड़ताल करने की बात कर रहे हैं। आउर जानते हैं पीएमसीएच से लेकर मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में इसका असर पड़ रहा है। आप तो जानते ही हैं कि अभी भी इंसेफ्लाइटिस के कारण बच्चे मर रहे हैं। इलाज नहीं होगा तो बच्चे और मरेंगे। मन बेचैन नहीं होगा। जाने किस कारण डाक्टर सब चिल्ला रहा है।
यह राजनीति है बुधनमा। देखो, एक वाक्य में समझ सकते हो तो समझो। इस देश में वही होगा जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह चाहेंगे। वह चाहेंगे तो इस देश के डाक्टर तो डाक्टर जज सब भी सड़क पर लुंगी डांस करने लगेंगे। फिर डाक्टर तो बहुत स्वार्थी होते ही हैं। अभी आरएसएस बंगाल पर कब्जा चाहता है। उसके समर्थन में सब डाक्टर खड़े हो गए हैं। ममता बनर्जी की कुर्सी की कुर्बानी तय है। हां, इसमें जिनकी लाशें गिरेंगी वे ब्राह्मण नहीं होंगे। लाशें तो बहुजनों की ही गिरेंगी। समझे।
कैसे समझेंगे इतना सबकुछ आप एक सांस में बता देते हैं। हम तो यह भी नहीं जानते हैं कि कोलकाता में डाक्टर सब खिसियाया काहे।
कुछ खास नहीं बुधनमा। ऐसा तो पटना में रोज होता है।आए दिन कोई न कोई मरीज डाक्टरों की लापरवाही से मर जाता है और मरीज के नाते-रिश्तेदार डाक्टर सब के पीट देता है। लेकिन पटना में काहे कि आरएसएस की सरकार है, इसलिए डाक्टर सब मार खाकर भी चुप रह जाता है। याद नहीं है 2015 में जब राजद सरकार में थी और लालू के बड़का बेटा हेल्थ मिनिस्टर था तब पीएमसीएच के डाक्टर सब कितना बवाल काटा था।
होय, वह तो याद है। एक बार भाजपा वाला अश्विनी चौबे भी बोला था कि डाक्टरों का हाथ काट लेंगे, तब भी सब चुप रह गया था। लेकिन कोलकाता में भी कुछ ऐसा ही हुआ है क्या?
सही बोले बुधनमा। वहां नील रतन सरकार अस्पताल है। पिछले दिनों एक मरीज मर गया। उसके रिश्तेदार आरोप लगा रहे थे कि इलाज नहीं किया गया। वे हंगामा कर रहे थे। मोदी की जीत के नशे में डाक्टर सब भी भिड़ गये। इसके बाद हाथापाई भी हुई। डाक्टरों ने हड़ताल कर दिया है। अब तो आईएमए ने भी राष्ट्रीय स्तर का स्ट्राइक का आह्वान किया है।
बात समझ में नहीं आयी। क्या मरने वाला कोई छोटी जात का था या मुसलमान था?
होय, सच्चाई यही है कि नील रतन सरकार अस्पताल में जिसके मरने पर हंगामा हुआ वह मुसलमान था। सवर्ण होता तो हंगामा थोड़े न होता।
बाप रे। डाक्टर सब भी राजनीति करता है। न नवल भाई?
राजनीति इस मुल्क में कौन नहीं करता है मेरे दोस्त बुधनमा। यही तो सच्चाई है। अब देखो न श्रीधरन जैसा आदमी भी संघ के इशारे पर नाच रहा है।
अब इ श्रीधरन कौन है नवल भाई?
श्रीधरन को मेट्रोमैन कहते हैं सब। दिल्ली में मेट्रो के पीछे इसका दिमाग बताया जाता है। जाति का ब्राह्मण है। उसने अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले को गलत बताया है। उसका कहना है कि महिलाओं को मुफ्त में मेट्रो का सफर करने देने से मेट्रो की संस्कृति प्रदूषित हो जाएगी। उसने सुझाव दिया है कि सरकार चाहे तो सब महिलाओं को उनके खाते में पैसा भेज दे।
गजब आदमी है श्रीधरन। फिर वही हरकत करेगा क्या। जैसे गैस सिलिंडर के मामले में कर रहा है और राशन-किरासन का खेला कर रहा है सब। सब्सिडी का पैसा आता नहीं है। चार सौ का गैस नौ सौ में खरीदना पड़ता है। हम तो गैस लेकर परेशान हो गए हैं। तीन महीना से सिलिंडर नहीं ले पाए हैं नवल भाई। राशन का पैसा तो आजतक मेरे खाते में नहीं आया। एक बार पूछे तो एक बाबू बोला कि बैंक में जाओ। बैंक वाला कहता है कि कलेकटर के पास जाओ। अब आप ही बताइए हम मजदूर आदमी मजदूरी करें कि चक्कर लगाते रहें।
यार बुधनमा यही राजनीति है। वर्तमान तो सवर्णों का है जो नरेटी (गर्दन) तक अघाया हुआ है। चलो जाने दो। आज मूड नहीं है। डाक्टर सब का लुंगी डांस देखने दो। मनोरंजन का कुछ अधिकार हम पत्रकारों को भी है।
लेखक- नवल किशोर कुमार, ज्येष्ठ पत्रकार, संपादक, हिंदी. नवल किशोर जी देखील आपल्या लेखांद्वारे नॅशनल इंडिया न्यूजला सतत सेवा देत आहेत.
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