महिलाओं की शक्ति, और उनकी प्रेम दायक कहानी
By- Alfaraz Shaikh
एक बहुत ही लोकप्रिय कहावत है कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है… महिला की कहानी बिल्कुल अलग होती है वह अपने पति, बेटे और बच्चों के साथ मजबूती से खड़ी रहती है… इस सबके बावजूद महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही है … वहीं महिलाओं के सम्मान में हर साल 8 मार्च को इंटरनेशनल वुमेन्स डे मनाया जाता है इंटरनेशनल वुमेन्स डे पूरे विश्व में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है महिलाओं को उनके मेल साथी इस दिन उन्हें इस दिन की शुभकामनाएं देते हैं बेटियों, बहनों, माताओं, पत्नी के अलावा इस दिन सभी महिलाओं को पुरुष सम्मानित करते हैं…
लोगो की मानसिकता-
दोस्तों औरतो पर अत्याचार, मारपीट करना, बलात्कार, प्रताड़ित करना, दहेज़ ना दे पाने पर नारी को परेशान करने का एक कारण है लोगो की मानसिकता, क्योकि आजकल इस तरह के वातावरण से लोगो की मानसिकता खराब हो गयी है, वो नहीं समझते की अगर हम किसी औरत पर अत्याचार करेंगे तो हमारी बहन, बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी? उन लोगो को समझना चाहिए की आपको जन्म तो एक औरत ने ही दिया है. हमें औरतो को सम्मान की दृष्टी से देखना चाहिए और उन्हें किसी से कमजोर नहीं समझना चाहिए.
कुछ लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते है अगर किसी बहन बेटी पर अत्याचार होता है तो लोग किनारा कर लेते हैं, वो उनकी मदद नहीं करते, लोग सोचते हैं की हम क्यों उसकी मदद करें. लोगों को सोचना चाहिए की अगर हम किसी लड़की पर हो रहे अत्याचार को रोकने की कोशिश नहीं करेंगे तो इस देश का विकास कैसे हो सकेगा. क्योकि इंसान जो भी करता है उसका असर देश में होता है.
औरतों का अपने आपको कमजोर समझना-
मेरे ख़याल से औरतों पर अत्याचार का सबसे बड़ा कारण औरतों का अपने आपको कमजोर समझना है, औरतो को समझना चाहिए की वो किसी से कम नहीं है, वोह चाहे तो कुछ भी कर सकती है, हमारे देश की नारी शुरू से ही अपने आप को कमजोर समझती हैं.. नारी को दुष्ट लोगों से डरना नहीं चाहिए बल्कि उनका सामना करना चाहिए, क्योकि अगर वो चाहे तो कुछ भी कर सकती है.
“नारी की शक्ती की एक प्रेम दायक कहानी”
कहते हैं नारी तो कमजोर होती है लेकिन कमजोर नहीं बल्कि एक ऐसी ज्वाला होती है जो निकले तो सबकुछ तबाह कर सकती है और अपने होंसले बताये तो कुछ भी कर सकती है।
आज देश भर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान चलाए जाते हैं जहां ये दर्शाया जाता है कि हमारी बेटियां कहीं न कहीं बेटों के मुकाबले कमज़ोर हैं। ऐसी कोई मुहिम क्यों नहीं चलाई जाती जिसमें लड़की की जगह लड़कों को नसीहत मिले की वो लड़की को गलत निगहों से न देखें या उसको कभी कमज़ोर नहीं समझे। इसलिए आज के वक्त में सोच बदलने की जरूरत है, सोच बदलेगी तभी देश बदलेगा और हमारे देश में महिलाओ के खिलाफ अपराध भी खत्म हो सकेंगे.
[ नोट: यह लेखक के अपने विचार है ]
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