योगी राज में बीजेपी नेता की पुलिस अफसर को धमकी ‘’2 सैकेंड में टोपी उतरवा दुंगा’’
By- Aqil Raza
यूपी में बीजेपी नेताओं की गुंडागर्दी के अब तक कई मामले सामने आ चुके है, नेता के सिर सत्ता का नशा सिर चढ़कर बोल रहा है. इसकी आए दिन गुंडागर्दी की तस्वीरें सामने आती रहती हैं. ताजा मामला मुरादाबाद से आया है. यहां एक बीजेपी नेता अमित चौहान सरेआम पुलिस अधिकारी को धमकी देते दिखाई दिए. अमित चौहान ने 2 सेकेंड के अंदर टोपी उतरवाने की धमकी दे डाली।
जानकारी के मुताबिक, मुरादाबाद जिले में एक ब्लॉक प्रमुख पूनम देवी का शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था. इस समारोह में बीजेपी नेता राजपाल सिंह चौहान और उनके बेटे अमित सिंह चौहान मौजूद थे. इसी बीच इंस्पेक्टर शरद मलिक को देखकर अमित चौहान अपना आपा खो बैठे. उन्होंने इंस्पेक्टर को जमकर धमकाया.
यहां तक की 2 सेकेंड के अंदर टोपी उतरवाने की धमकी दे डाली. यह मामला थाने तक पहुंच गया. अमित चौधरी के सर्मथक बड़ी संख्या में हथियार लिए थाने में भी चले आए. जनता के बीच नेता जी अधिकारी की बेइज्जती कर रहे हैं. 2 सेकेंड के अंदर टोपी उतरवाने की धमकी दे रहे हैं. बीजेपी की सरकार का धौंस दिखाया जा रहा है. और इसके बाबजूद भी बहतर कानून व्यवस्था का हवाला दिया जाता है। जहां कानून के रखवाले को सरेआम सत्ता के नशे में धमकाया जाता है।
बताते चलें कि ऐसे कई मामले यूपी में सामने आ रहे हैं. हाल ही में शाहजहांपुर जिले में जलालाबाद इलाके के सर्किल ऑफिसर बलदेव सिंह खनहेड़ा ने स्थानीय बीजेपी नेता मनोज कश्यप पर उन्हें एक केस को छोड़ने के लिए धमकी देने का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि मारपीट के एक केस को छोड़ने के लिए दवाब बनाया जा रहा है.
सर्किल ऑफिसर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बीजेपी कार्यकर्ता सुरेश तोमर और उनके बेटे अभिनव ने कुछ दिन पहले एक बहुजन समाज के व्यक्ति के साथ मारपीट की थी. पीड़ित व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट में आया था कि उसके सीधे हाथ में फ्रैक्चर है. उसके सिर में गंभीर चोटे हैं. इस पर एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया था.
बलदेव सिंह ने बताया था कि समाधान दिवस के दिन वह जलालाबाद पुलिस स्टेशन में मौजूद थे. उसी वक्त स्थानीय नेता मनोज कश्यप और पार्टी के अन्य कार्यकर्ता पुलिस स्टेशन पहुंच गए. पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद उन लोगों ने वहां हंगामा खड़ा कर दिया. पुलिस से केस वापस लेने की मांग करने लगे. उनको इसके लिए धमकी भी दी गई.
ऐसे में सवाल इस बात का है कि सूबे के मुखिया कानून व्यवस्था का ढिंडोरा तो पीटते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के नेता ही कानून को अपने हाथ में लेकर, कानून के रखवालों को सरेआम धमकाते हैं। तो क्या इसको बहतर कानून व्यवस्था माना जाए… या बहतर राज?
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