यूपीकोका कानून के बाद एक और फैसला लेने की तैयारी में योगी सरकार, विपक्ष ने की फैसले की मुखालफत
By- Aqil Raza
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार यूपीकोका कानून के बाद अब एक और नया फैसला लेने जा रही है. जिसके तहत जल्द ही नेताओं और जन प्रतिनिधियों पर दर्ज वैसे मुकदमों को वापस लेने की तैयारी कर रही है, जो उनपर आंदोलन और धरना प्रदर्शन के दौरान किए गए थे. सरकार ने करीब 20 हजार ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की है, जिनपर राजनैतिक चरित्र के मुकदमे वर्षों से दर्ज हैं और उन्हें बेवजह अदालतों के चक्कर काटने पड़ते हैं.
ऐसे मामलों को हटाने के संकेत योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा सत्र के दौरान यूपीकोका बिल पर बहस के समय ही दिए थे. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले सत्र में योगी सरकार तकरीबन 20 हजार लोगों पर दर्ज राजनीति मुकदमों को वापस ले सकती है. प्रशासनिक स्तर पर इस प्रस्ताव की तैयारी भी पूरी की जा चुकी है.
वहीं विपक्ष इसकी मुखालफत कर रहा है, मगर सरकार का दावा है कि ऐसे 20 हजार लोगों में सभी दलों के लोग शामिल हैं, जिन पर किसी ना किसी धरना प्रदर्शन या आंदोलनों के वक्त के मुकदमे हैं और मुकदमे जारी रहने से उन्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पढ़ रहे हैं.
योगी सरकार का मानना है कि 20 हजार लोगों को राहत देने से राजनीति में स्वच्छता आएगी क्योंकि हटाए जाने वाले दर्ज मुकदमे सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक होंगे. गंभीर और आपराधिक केस के मुकदमे नहीं हटाए जाएंगे. हालांकि विपक्ष के मुताबिक इसकी आड़ में योगी सरकार अपने उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के मुकदमे वापस लेगी, जिनकी वजह से कानून व्यवस्था खराब होती रही है.
मतलब साफ है कि जिन नेताओं की वजह से देश की कानून व्यवस्था खराब हुई है और वो अब एक राजनीति का हिस्सा है तो राजनीति को स्वच्छ करने के लिए उनपर से आरोप ही हटा लिए जाए. लेकिन सवाल इस बात का है कि इन नेताओं पर लगे मुकदमें तो हटा लिए जाएगें लेकिन इनकी वजह से जो हमारे देश को आर्थिक या सामाजिक नुकसान हुआ है उसका क्या? सवाल इस बात का भी है कि आज अगर मुकदमा वापस लेते हैं तो क्या आगे हमारे समाज को प्रदर्श के नाम पर नुकसान नहीं पहुंचाएगें।
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