घर राज्य बिहार & झारखंड रेल्वेमध्ये भोजन मागितल्याबद्दल अधिका officer्याने कामगारांशी गैरवर्तन केले.

रेल्वेमध्ये भोजन मागितल्याबद्दल अधिका officer्याने कामगारांशी गैरवर्तन केले.

कोरोना ने पूरे देश को अपनी आगोश में ले लिया है। लोग मर रहे है और सरकार गरीबों को सुविधाएं देने की जगह हाथ पर हाथ रखकर बैठी है। लेकिन जब सरकार ने देखा की गरीबों को घर भेजने का मामला लगाता तुल पकड़ रहा है। तो सरकार ने मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए ट्रेने शुरू कर दी। लेकिन ये ट्रेने अपनी मंजिल के लिए मजदूरों को बैठा कर निकल तो गई। लेकिन ये ट्रेने अपनी मंजिल पर एक से दो दिन में पहुंचनी थी लेकिन यही ट्रेन 9 पासून 10 दिन ले रही है।

ऐसा ही एक अजीब मामला झारखंड से सामने आया है। जहां झारखंड के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की एक प्रवासी मजदूर के साथ बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ऑडियो क्लिप में कथित तौर पर राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एपी सिंह और एक प्रवासी मजदूर की बातचीत दर्ज है। मजदूर ट्रेन में सफर के दौरान खाना नहीं मिलने की शिकायत एपी सिंह से करता है तो इस पर एपी सिंह उनसे ट्रेन से कूद जाने को कहते हैं।

दराअसल इस ऑडियो क्लिप में झारखंड के एक प्रवासी मजदूर शिकायत करते हुए एपी सिंह से कह रह हैं कि वे श्रमिक विशेष ट्रेन से वापस आ रहे हैं लेकिन उन्हें सुबह से खाना नहीं मिला है। इस पर एपी सिंह कहते हैं कि खाना देने की जिम्मेदारी रेलवे की है।इस पर मजदूर उनसे पूछता है कि रेलवे कब खाना देगा, उन्हें सिर्फ सुबह में एक पैकेट ब्रेड, एक केला और एक बोतल पानी दिया गया है, जिसमें वे दिनभर काट रहे हैं। इस पर अधिकारी एपी सिंह उन्हें ट्रेन से कूदने की बात कहकर फोन काट देते हैं।

वहीं जब अधिकारी ने देखा की मामला ज्यादा बढ़ने लगा तो सवाल पूछने पर वो अपनी बात से मुंह फेरते नजर आए। उन्होने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा कि अगर आप ऑडियो को धैर्य से सुनें तो आपको दो बार बेटा शब्द सुनाई देगा। इससे पता चलता है कि मैं इस दौरान घर पर हो सकता हूं और मेरा बेटा किसी चीज पर चढ़ गया है और मैं अपने बेटे से उस चीज से उतरने को कह रहा हूं। ऑडियो में मैं मजदूर को यह समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि रेलवे की ओर से खाना उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन इन सब से परे ट्रेनों का भटकना वाकई एक सोचने वाला मामाल है।

लेकिन अगर गरीब प्रशासन और सरकार से ही गुहार नहीं लगाएगा तो किससे लगाएगा। और अगर मदद मांगने पर ऐसे जवाब सुनने को मिलेंगे तो ये किस हद तक वाजिब है। साथ ही साथ सरकार को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और सही सलामत गरीबों को घर पहुंचाना चाहिए।

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