सामाजिक न्याय और ओबीसी के प्रति और कितना धोखा करेगी मोदी बीजेपी सरकार ??
Published By- Aqil Raza
By- Dr. Manisha Bangar
भले ही मोदी सरकार SC, आदिवासियों और ओबीसी को लुभाने के लिए नई-नई घोषणाएं कर रही है, परंतु सच्चाई यह है कि सरकार के लिए दलित-बहुजन कोई मायने नहीं रखते हैं। इसका प्रमाण है 1 फरवरी 2019 को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट। केंद्रीय कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने जहां एक ओर समाज के हर आय वर्ग के लोगों के लिए कई सब्जबाग दिखाया, वहीं दूसरी ओर बहुजनों के मामले में कंजूसी दिखायी। इसका अनुमान इसी मात्र से लगाया जा सकता है कि अंतरिम बजट में अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के बजट में 1 प्रतिशत से भी कम वृद्धि की गयी है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-2019 में मंत्रालय का बजट 7750 करोड़ था, जिसे बढ़ाकर 7800 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यानी एक फीसदी से भी कम। जाहिर तौर पर इस मामूली वृद्धि का असर मंत्रालय द्वारा संचालित योजनाओं पर पड़ेगा जिनका मुख्य मकसद SC, आदिवासियों और ओबीसी का विकास है।
हालांकि सरकार ने विकलांगों के लिए बजट में 7 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। बजट राशि 1070 करोड़ से बढ़कर 1114.90 करोड़ किया गया है। बताया यह भी जा रहा है कि अनुसूचित जाति कल्याण विभाग का बजट 56619 करोड़ से बढ़ाकर 62474 करोड़ कर दिया गया है। परंतु,ओबीसी के मामले में सरकार ने उदारता नहीं दिखायी।
सरकार SC, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के प्रति किस हद तक उदासीन है, इसका अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि पांच आयोगों के लिए केवल 39.87 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया गया है। इनमें अनुसूचित जनजाति आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, सफाई कर्मचारी आयोग आदि शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में इन आयोगों के लिए 33.72 करोड़ का आवंटन किया गया था।
बहरहाल, मोदी सरकार की प्रतिबद्धता बहुजनों के प्रति नहीं है। यदि होती तो निश्चित तौर पर बजट आवंटन में इतनी कंजूसी दिखायी गई होती। अब एक आंकड़ा यह भी देख लें कि ओबीसी और आर्थिक पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना के मद की राशि 500 करोड़ रुपए से घटाकर 390 करोड़ रुपए कर दी गई है।
~ डॉ मनीषा बांगर
सामाजिक राजनितिक चिंतक, विश्लेषक एवं चिकित्सक.
उपाध्यक्ष पीपल पार्टी ऑफ़ इंडिया-डी ,
पूर्व उपाध्यक्ष बामसेफ
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