घर राज्य बिहार & झारखंड लॉकडाऊनमध्ये घरी परत येणे युद्ध सुरू झाले, केंद्र सरकार पुन्हा पसार झाले !

लॉकडाऊनमध्ये घरी परत येणे युद्ध सुरू झाले, केंद्र सरकार पुन्हा पसार झाले !

अब हालात ये हो चुके है की एक मजदूर अपने घर जाने और परिवार को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।और अपने घर पहुंचने के लिए कितना भी लंबा इंतजार कर सकता है।दराअसल ऐसा ही कुछ नजारा हमें देखने को मिला गाजियाबाद के रामलीला मैदान में।बता दें की गाजियाबाद से बिहार और यूपी के कई जिलों के लिए ट्रेन रवाना होनी थी।

लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सोमवार को सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती हुई नज़र आईं।यहां श्रमिक ट्रेन के लिए वेरिफिकेशन करवाने के लिए हजारों की संख्या में मजदूर एक साथ रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए।जैसे-जैसे मजदूरों को इसकी जानकारी मिलती रही मजदूर रामलीला मैदान में इकठ्ठा होते रहे

लेकिन ट्रेनों में जाने से पहले प्रशासन की ओर से मजदूरों को थर्मल स्क्रीनिंग और पेपर वेरिफिकेशन के लिए रोका गया था। जहां मौके पर हजारों की संख्या में मजदूर इकट्ठा हुए,ऐसे में स्थानीय प्रशासन की सभी व्यवस्था धरी की धरी रह गई और एडीएम-मजिस्ट्रेट के सामने सभी नियम बेकार साबित हुए। हालांकि, मजदूरों के वेरिफिकेशन के बाद यहां से ट्रेनों को रवाना कर दिया गया।गाजियाबाद से कुल 6 ट्रेनें भेजी गई हैं जो बिहार, गोरखपुर, वाराणसी, बनारस, आजमगढ़ गई हैं,जिसकी जानकारी मिलते ही यहां बड़ी संख्या में लोग दिल्ली से भी आ गए थे।

खरंच, गाजियाबाद के रामलीला मैदान लोगों की बेतहाशा भीड़ इकट्ठा हो गई है।सभी लोगों को ट्रेन या बस के जरिए घर भेजे जाने का भरोसा प्रशासन ने दिया गया था।सड़क पर जितने लोग पैदल चल रहे थे सभी को वहां ले जाकर रखा गया है और अब इस कदर भीड़ हो गई कि लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए।मामले की जानकारी मिलते ही डीएम मौके पर पहुंचे और मामले को काबू करने की कोशिश की।

वहीं गाजियाबाद एडीएम के मुताबिक, बिहार के लिए गाजियाबाद से तीन ट्रेनें चलाई गई हैं। जोकि 12 सौ प्रति मजदूर ट्रेन से लेकर बिहार जाएंगी,आज करीब 36 सौ मजदूरों को बिहार भेजा जाएगा।इसके अलावा लखनऊ, गोरखपुर के मजदूरों को भी यहां से भेजा गया।जब उनसे इस मामले को लेकर जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि।सुबह तक स्थिति नियंत्रण में थी, लेकिन अब जो हालात हैं उन्हें संभाला जा रहा है,दूसरी ओर मजदूरों का कहना है कि वह लंबे वक्त से धूप में ही खड़े हैं ऐसे में काफी परेशानी है।कुछ मजदूरों ने कहा कि वो कल भी आए थे, लेकिन नंबर नहीं आ पाया था।बता दें की इससे कुछ दिन पहले मजदूरों ने ट्रेन हादसे में अपनी जान गवा दी थी

सरकार मजदूरों को घर पहुंचाने राशन देने में पूरी तरह फैल हो गई।वहीं हर बार की तरह इस बार भी सरकार अपने वादे से फिर गई या ये कहें की मजदूरों की तादाद ने सरकार की तैयारियों की पोल खोल दी।लेकिन अब देखा जाए तो सरकार उन लोगों पर भी सियासी रोटियां बना रही है जो मजदूरों की मदद के लिे आगे आ रहें है ।

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