अनर्ब से पहले ये पत्रकार भी कर चुके है जनता के साथ धोका, अब काट रहे लंबी सज़ा !
आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में ‘मीडिया’ के मालिक जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। सहारा टीवी समूह के मालिक सुब्रत रॉय सहारा जेल में हैं और जमानत की राशि के इंतजाम में लगे है। लगभग दो साल में वे जमानत की राशि इकट्ठा नहीं कर पाए। दो लाख करोड़ के साम्राज्य का मालिक होने का दंभ भरने वाले सुब्रत रॉय दस हजार करोड़ नहीं जुटा पा रहे हैं। इसी तरह पी-7 चैनल और पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू भी जेल में हैं। खबर भारती चैनल के मालिक बघेल सांई प्रसाद समूह के शशांक प्रभाकर, महुआ ग्रुप के हिन्दी, भोजपुरी, बांग्ला भाषाओं के कई चैनलों के मालिक पी.के. तिवारी भी जेल में हैं। इसी तरह शारदा ग्रुप के चैनल-10 के मालिक सुदीप्तो सेन भी जेल में हैं। समृद्ध जीवन परिवार नामक चिटफंड कंपनी के मालिक और लाइव इंडिया नाम के चैनल के मालिक महेश किसन मोतेवार जेल में बंद हैं। इनमें से अधिकांश टीवी चैनलों के मालिक धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार हैं।
स्टार के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी शीना बोहरा हत्याकांड में अपनी पत्नी इंद्राणी के साथ बंद हैं। ओडिशा के कामयाब टीवी चैनल के मालिक मनोज दास और ओडिशा भास्कर न्यूज पेपर के मधुसुदन मोहंती भी सीबीआई के जाल में हैं। इनमें से अधिकतर लोग आर्थिक घोटालों में जेल में बंद हैं। घोटाले भी छोटे-मोटे नहीं, सभी हजारों करोड़ के मामलों में सलाखों के पीछे हैं। इनमें से ज्यादातर चिटफंड घोटाले में फंसे हैं। सुब्रत रॉय सहारा जो कभी अरबों में खेलते थे, तिहाड़ जेल में बंद हैं और अपनी इज्जत बचाने के लिए जेल में किताबें लिख रहे हैं। मानो उन्हें आजादी की लड़ाई के लिए जेल की सजा मिली हो। सुब्रत रॉय सहारा हजारों लोगों के अरबों रुपए खाकर डकार नहीं ले रहे हैं। हजारों लोगों से उन्होंने अरबों रुपए मकान के नाम पर लिए और शायद ही किसी को मकान उपलब्ध कराया। चेन मार्केटिंग के सहारे लोगों को ब्याज का लालच दे देकर उन्होंने अरबों रुपए इकट्ठे किए। सेबी, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया उनके खिलाफ अनेक मामलों की जांच करा चुका है। उनकी कंपनियों के खिलाफ सैकड़ों मामले विचाराधीन है। इसके बावजूद सुब्रत रॉय ऐसे बड़ी-बड़ी बातें करते है, मानो वे कोई देवदूत हो।
पर्ल ग्रुप के निर्मल सिंह भंगू की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। धोखेबाजी में वे सुब्रत रॉय को पीछे छोड़ चुके हैं। पूरे देश में अरबों की संपत्ति बना चुके निर्मल सिंह भंगू ने भी सुब्रत रॉय सहारा की ही तरह सुरक्षा कवच के रूप में मीडिया के धंधे में आगमन किया। उन्हें लगा था कि चैनल के बहाने कोई उन्हें हाथ नहीं लगाएगा, लेकिन कानून के लंबे हाथ और अपनी पापों के कारण निर्मल सिंह भंगू भी जेल की सलाखों के पीछे है। भंगू का पी-7 चैनल बंद हो चुका है। लाखों निवेशक उनके नाम पर खून के आंसू रो रहे है। सैकड़ों पत्रकार रोजी रोटी की तलाश में जुटे हैं। इसके बाद भी भंगू लोगों को कह रहे है कि वे धीरज बनाए रखे, उनका पैसा उन्हें मिल जाएगा। जिस तरह सुब्रत रॉय सहारा लम्ब्रेटा स्कूटर पर घूम-घूमकर अपनी चिटफंड कंपनी के लिए लोगों से पैसे मांगा करते थे, उसी तरह निर्मल सिंह भंगू ने भी अपना सफर मामूली से काम से शुरू किया था। पंजाब के चमकौर साहब जिले में भंगू साइकिल पर घर-घर जाकर दूध बेचते थे। इस दौरान उनके संपर्क में कई लोग आए और उन्होंने चिटफंड कंपनी के एजेंट का काम भी शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका धंधा चल निकला और उन्होंने अपना पर्ल ग्रुप शुरू किया। फिर निर्माण के धंधे में आए, जो पैसे इकट्ठे किए थे, उसे जमीन-जायदाद के धंधे में लगा दिया और जमीनों के भाव बढ़ते ही उन्हें बेचकर करोड़ों रुपए कमाए। नियमों के विरुद्ध चिटफंड चलाने के मामले में उनकी जांच हुई और वे करीब 49 हजार करोड़ रुपए के डिफाल्टर पाए गए।
लाइव इंडिया चैनल के मालिक महेश मोतीवार की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। महेश मोतेवार ने अपनी चिटफंड कंपनी खोली, जिसका नाम था समृद्ध जीवन परिवार। सुब्रत रॉय सहारा के सहारा इंडिया परिवार की तरह ही वे भी अपनी कंपनी को समृद्ध जीवन परिवार के नाम पर प्रचारित करते रहे। मोतेवार की कंपनी ने पुणे में गाय और बकरिया पालने का धंधा शुरू किया। पशु-पालन फॉर्म खोले और लोगों से कहा कि इस धंधे में जबरदस्त कमाई है, उनके पास जितने भी पैसे हो वे इस कंपनी में लगा दे। बकरी और गाय पालने से जो भरपूर मुनाफा मिलता है, उसका फायदा गांव वाले भी उठाएं और एक रुपए को तीन रुपए में तब्दील करें। यानि दोगुना शुद्ध मुनाफा। शुुरू में कुछ लोगों को मोतेवार की कंपनी ने पैसे दिए भी। लालच में आकर बड़ी संख्या में लोग समृद्ध जीवन परिवार के सदस्य बने। पैसा आते ही मोतेवार ने हिन्दी और मराठी न्यूज चैनल शुरू किए। अपनी इमेज चमकाने के लिए उनकी कंपनी देशभर में रक्तदान के शिविर लगाती रही और यह माहौल बनाया गया कि सहारा समूह की तरह मोतेवार का समृद्ध जीवन परिवार भी जनकल्याण के काम में लगा है।
पश्चिम बंगाल के रोजवैली और शारदा चिटफंड कंपनी के मालिक भी धोखेबाजी के मामले में कानून की गिरफ्त में हैं। शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन पुलिस की गिरफ्त में हैं। रोजवैली चिटफंड कंपनी के मालिक गौतम कुंडू भी जेल जा चुके है। रोजवैली ग्रुप के देशभर में ढाई हजार से ज्यादा बैंक खाते सील किए जा चुके है। शारदा चिटफंड घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता फंसे है। शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन एखून समय नामक टीवी चैनल की बिक्री के फर्जीवाड़े में शामिल बताए जा रहे है। सीबीआई और ईडी के जाल में पूर्व केन्द्रीय मंत्री मतंग सिंह भी फंस चुके हैं।
ओडिशा के कामयाब टेलीविजन और ओडिशा भास्कर अखबार के सीएमडी मनोज दास और मधुसूदन मोहंती भी कानून की गिरफ्त में हैं। इन लोगों ने भी लोगों से अवैध तरीके से पैसे जमा किए थे। कुल मिलाकर इनमें से अधिकांश लोगों को काम मीडिया समूह का संचालन करने के बजाय लोगों को लालच देकर फांसने में ज्यादा रहा। इनके अलावा ऐसे मीडिया मालिक भी है, जो हत्या, बलात्कार, गुंडागर्दी और दूसरे गैरकानूनी कामों के कारण जेल की सलाखों के पीछे है। ऐसे मीडिया मालिकों की भी एक लंबी सूची है, जो किसी भी क्षण जेल जा सकते है। अभी ये लोग किसी न किसी बहाने जेल जाने से बच रहे है।
आजादी के पहले जवाहर लाल नेहरू, माखनलाल चतुर्वेदी, लोकमान्य तिलक, बालगंगाधर गोखले आदि अनेक लोग हुए, जो आजादी की लड़ाई लड़ते हुए शान से जेल गए। इन लोगों का जेल जाने का एक मकसद था कि भारत की आजादी की लड़ाई तेज हो, लेकिन अब जो मीडिया मालिक जेल जा रहे है, उनका एक मात्र मकसद बड़े आर्थिक घोटाले करना रहा। आजादी के बाद जो मीडिया मालिक जेल गए वे आर्थिक घोटालों में शामिल थे। इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामनाथ गोयनका के एकलौते पुत्र भगवानदास गोयनका को न्यूज प्रिंट की धोखाधड़ी के मामले में जेल जाना पड़ा। टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के ही अशोक कुमार जैन विदेशी मुद्रा के मामले में फंसे थे। वे दोषमुक्त हो पाते, इसके पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। महू के अल-हलाल जैसे ग्रुप भी थे, जो छोटे-मोटे अखबार निकालते थे और अब चिटफंड के अरबों रुपए इकट्ठा करके भाग गए। ऐसे लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि उनका पता लगाना भी आसान नहीं।
ये लेख वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी के नीजि विचार है
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