उमर खालिद की बढ़ी मुश्किलें, 10 दिन की पुलिस रिमांड पर
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों की साजिश के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत अदालत ने 10 दिन की रिमांड पर दिल्ली पुलिस के सुपुर्द किया है। अब खालिद को 24 सितंबर को रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत के समक्ष आरोपी उमर खालिद को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया। पुलिस ने खालिद को 10 दिन की रिमांड पर देने की मांग की। साथ ही कहा कि खालिद दिल्ली में हुए दंगों के साजिशकर्ता के तौर पर मुख्य किरदारों की सूची में शामिल है। दिल्ली पुलिस का यह भी कहना था कि इन दंगों को लेकर करीब 11 लाख इलेक्ट्रॉनिक व दस्तावेजी साक्ष्य जुटाए गए हैं। आरोपी उमर का सामना इन दस्तावेजों से कराना है।
साथ ही पुलिस का कहना था कि दंगों की पीछे की साजिश में अभी तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन दंगों की साजिश में कई छात्र संगठनों के नेता शामिल पाए गए हैं। इन सभी से आरोपी उमर खालिद का सामना कराना है। साथ ही दंगों के ही लिए पिस्तौल, पेट्रोल बम आदि हथियारों को पहले दंगों के लिए तैयार करके रखा गया था। इसकी जांच भी करनी है।
साथ ही साथ दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष तर्क पेश करते हुए कहा कि इन दंगों को ठीक उसी समय प्रायोजित किया गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत के दौरे पर आए। उस समय विश्वभर का मीडिया भारत में था। इन दंगों को कराने के पीछे आरोपियों का मकसद था कि वह यह साबित कर सकें कि भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ अत्याचार हो रहा है। इसी लिए 22 फरवरी की रात प्रायोजित तरीके से मुस्लिम महिलाओं व बच्चों को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बड़ी संख्या में एकत्रित कर रास्ता रोक दिया गया।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा खालिद की सुरक्षा को खतरा बताते हुए याचिका लगाई गई। जिसके बाद अदालत ने पुलिस उपायुक्त को खालिद की सुरक्षा के विशेष निर्देश दिए। इसके अलावा पुलिसकर्मियों व बचाव पक्ष के वकीलों को कहा कि जब भी उमर खालिद से पूछताछ या मुलाकात की जाए तो सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य नियमों का पालन किया जाए। फिलहाल अब देखने वाली बात ये होगी की सरकार का उमर खालिद पर अगला कदम क्या होता है।
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