तो इसलिए MSP पर लिखित गारंटी चाहते है किसान !
किसानों द्वारा कृषि कानून के विरोध में जो प्रदर्शन किया जा रहा है, वो अभी भी जारी है. केंद्र सरकार की ओर से अब जाकर बातचीत की पहल की गई है, लेकिन उससे पहले ही किसान संगठन अपना रुख साफ कर चुके हैं. किसानों का कहना है कि MSP और मंडी के मुद्दे पर उन्हें लिखित गारंटी चाहिए. किसान संगठनों को डर है कि नया कानून जैसे ही जमीन पर उतरेगा, MSP धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी. यही कारण है कि MSP हमेशा के लिए बनी रहे, वो इस बात को कानून में शामिल करवाना चाहते हैं.

किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा लागू किया गया कानून जब असर दिखाएगा तो APMC एक्ट कमजोर होगा, जो मंडियों को ताकत देता है. ऐसा होते ही MSP की गारंटी भी खत्म होने लगेगी जिसका सीधा नुकसान भविष्य में किसान को उठाना होगा. यही कारण है किसान चाहते हैं कि MSP को कानून का हिस्सा बना दिया जाए.

इसके साथ ही मंडी सिस्टम को लेकर भी किसानों के दिल में डर है. अगर मंडी से बाहर खुले तौर पर फसल खरीद-बेचने की छूट होगी तो मंडियां कमजोर होंगी जिससे आगे जाकर उन्हें बंद करने के लाले पड़ सकते हैं. किसानों का कहना है कि मंडी का मजबूत होना जरूरी है, क्योंकि मौजूदा वक्त में वो अपनी जरूरत के हिसाब से आढ़तियों से पैसा ले लेते हैं, चाहे फसल आने में वक्त हो. ऐसे में किसानों को मदद होती है, लेकिन कॉर्पोरेट के साथ इस तरह के रिश्ते बनाना आसान नहीं होगा.

.आपको बता दें कि किसानों को उनकी फसलों की लागत से ज्यादा मूल्य मिलने की गारंटी हो इसके लिए सरकार देशभर में अनाज, तिलहन, दलहन आदि की मुख्य फसलों के लिए एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है. खरीदार नहीं मिलने पर सरकार अपने खरीद केंद्रों के माध्यम से MSP पर किसान से फसल खरीद लेती है. MSP निर्धारित करते वक्त कृषि पैदावार की लागत, मूल्यों में परिवर्तन, मांग-आपूर्ति जैसी कई बातों का ध्यान रखा जाता है. यही कारण है कि किसानों की चिंताएं कम होती हैं और उन्हें नुकसान नहीं उठाना होता है.
(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)
तो क्या दीप सिद्धू ही है किसानों की रैली को हिंसा में तब्दील करने वाला आरोपी ?
गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ओर से निकाली गई ट्रैक्टर रैली ने मंगलवार को अचानक झड़प क…