पीएम मोदी का गुनाह, कभी खत्म नहीं होगा कोरोना ? बेचारे मजदूर..
लोग लॉडाउन के बारे में बात करे, उसके पहले 20 लाख करोड़ का जुमला फेक दिये, अब लड़ते रहो, किसी ने पुछा की 45 दिन के इस त्याग से लाभ क्या मिला, जब करोना के साथ ही जीना था तो, जब केस नही थे तो लॉकडाउन करके मजदूरोंं को दर बदर भटकने को मजबुर कीए, और अब रोज हजारो की संख्या मे केस आ रहे है तो अचानक लॉकडाउन हटा दिये, रेड ज़ोन से बड़ी संख्या मे मजदूरों और लोगों का पलायन ग्रीन ज़ोन मे हुआ, मतलब ये भी नही बोल सकते की लॉडाउन से रेड़ ज़ोन का पता लगा, और उसको सीज करके बाकी क्षेत्र को बचा लिया गया, अब तो सब मिक्स हो चुका है। ये़ दो कदम आगे फिर चार कदम पीछे की निति ने देश को बर्बाद कर दिया।
उल्टा हमलोगो से कही ज्यादा अच्छे से पकिस्तान ने इसको हैण्डल किया, हम लोग उसको बेवकूफ घोसित करते रहे, उसने ये बात तभी बोल दिया था, जो आज मोदी जी बोल रहे है, उसने करोना को फैलने से भी रोका, और कम संसाधन के वावजूद गरीबों को रोड पर आने से भी बचाया। कोई इनके लॉक डाउन पर सवाल करे उसके पहले बजट मे होने वाले राहत को हल्का बढा के टीवी पर फेक गये। 20 लाख करोड का राहत पैकेज पढ़ के ऐसा लग रहा था, जैसे बजट पढ़ रहा हू।
आत्मनिर्भर कौन नही बनना चाहता है, मगर सही बिकल्प तो हो, किसको शौक है, फेसबुक, गूगल इस्तेमाल करने का, देशी फेसबुक बनाओ चीन की तरह।
सबसे बड़ी दुविधा देशी शब्द मे है, यहा मोदी जी का मतलब देश मे उत्पादित वस्तु से था, लोग समझ बैठे कंपनी देश की होनी चाहिये। अरे रिलायंस का मालीक भरतीय है, मगर अभी हाल ही मे UAE ने करोडो रुपिये लगाकर इसके बड़े हिस्से को खरीद लिया, तो ये भी स्वदेशी कैसे हुई। सैमसंग का मालीक कोरियन है मगर 70% उत्पादन भारत मे करता है, टोयोटा अपने ग्लोबल खपत का 90% भारत मे उत्पादन करता है। ऐसे बहुत कंपनी है जो बस नाम की भरतीय है उनका पुरा कण्ट्रोल विदेशियो के हाथ मे है, जनता के स्तर पर इसमे अन्तर करना असम्भव है, इसमे कुछ कर सकती है तो बस सरकार।
सरकार नये इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाए, बड़ी PSU कंपनी को नये उत्पादन क्षेत्र मे उतरने के लिये उत्साहित करे। इम्पोर्ट पर नये टैरिफ लगाये, और ओप्पो विवो जैसी कंपनी को बाध्य करे की ये भारत मे केवल अस्सेम्बल ना करे, सही मामले मे उत्पादन करे। ये कंपनी भारत मे केवल अस्सेम्ब्ल करके मेक इन इंडिया का टैग लगा देती है,
मै बहुत सी चाइनीज़ मोबाइल कंपनी मे गया हू, ये लोग भारत मे भी भरतीय को रोजगार नही देते, ज्यादतर अच्छे पदो पर चाइनीज़ लोग काम करते है, फिर भारत मे उत्पादन का क्या फायदा।
चर्चा तो बनता है, इतना बर्बादी का फायदा क्या हुआ, जब सब ऐसे ही भगवान भरोशे छोड़ना था, बजट को टीवी पर बोलके इससे ध्यान नही भटकाया जा सकता, मेरे नजर मे सरकार का ये कदम भी नोटबंदी की तरह असफल कदम रहा। इससे लोग रोड पर आ गये। बर्बादी के सिवा कुछ नही मिला।
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