मजदूरों को घर नहीं भेजना चाहती योगी सरकार, अब कांग्रेस पर उठाए सवाल
कोरोना का कहर पूरी दुनिया में बरकरार है और इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीबों और मजदूरों को भुगतना पड़ा रहा।वहीं इसी कड़ी लगातार मजदूर यूपी में अपने घर जाने की कोशिश कर रहे और ऐसा करने पर पुलिस उनपर लाठी-डंडे बरसा रही है।लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस मजदूरों का साथ देने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।जिसको लेकर प्रियंका गांधी ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ से बसों को लेकर मांग की थी, और कांग्रेस की तरफ से बसें भेजने की भी बात कही है।
जिसको लेकर अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने दावा किया है कि।कांग्रेस ने राज्य सरकार को जो बसों की लिस्ट दी है, उसमें कई नंबर तिपहिया वाहन, मोटरसाइकिल और कार के हैं।सीएम के सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने इसकी लिस्ट भी जारी की है।
बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी सरकार को मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए कांग्रेस की ओर से 1000 बसें देने की पेशकश की थी।इसे सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार कर लिया था और प्रियंका गांधी को बसों की लिस्ट राज्य सरकार को सौंपने को कहा था। बता दें की इससे पहले जब राहुल गांधी ने मजदूरों से मुलकात की थी तो वित्त मंत्री ने इसे ड्रामेबाजी बताया था जिसपर कांग्रेस के कई नेताओं ने वित्त मंत्री को खरी-खरी सुनाई थी।
तो वहीं अब अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने दावा किया है कि इस लिस्ट में घालमेल है।कांग्रेस की तरफ से सौंपी गई लिस्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने एक वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर का जिक्र किया है।10 नंवबर 2016 को रजिस्टर हुई वाहन संख्या की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा है कि ये बस नहीं बल्कि एक थ्री व्हीलर है।वहीं बीजेपी का कटाक्ष करते हुए इमरान प्रतापगढ़ी ने भी कहा पहले बोले बसें लखनऊ लेकर आओ, फिर रात में लेटर जारी करके बोले कि बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर आओ, अब जब बसें आगरा के पास यू पी बॉर्डर पर इकट्ठा हो रही हैं तो बोल रहे हैं ग़ाज़ियाबाद और नोयडा लेकर आओ।चलिये सरकार बहादुर आपका हर आदेश माना जायेगा, कॉंग्रेस की तऱप से मज़दूरों को घर पँहुचाने के लिये भेजी गईं बसें यूपी बॉर्डर पर पहुंच गई है।
इधर कांग्रेस की ओर से दी गई बसों के लिस्ट में हेरफेर को लेकर यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह के घर एक बैठक चल रही है। इस बैठक में लखनऊ कमिश्नर, डीएम समेत सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं।
लेकिन ये वाकी हमे सोचने पर मजबूर करता है की,मजदूरों से भी किसी को क्या दुश्मनी हो सकती है।आज इस सरकार में एक मजदूर को भी अपने घर जाने के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है,सरकार से हाथ जोड़ कर मांग करनी पड़ रही है।और अगर कोई इन गरीब,मजदूर और बेसहारा लोगों की मदद के लिए आगे आ रहा है,तो उसपर या तो ऐसे इलजाम लगाए जा रहे है।या फिर सरकार ही उसके काम को ड्रामे बता रही है।
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