हैदराबाद में ओवैसी का राज बरकरार, AIMIM का अब तक का सबसे तूफानी स्ट्राइक रेट
AIMIM के प्रमुख असुद्दीन ओवैसी सियासत के मैदान के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. सियासत का मैदान उनका था लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उनके घर में घुसकर चैलेंज दिया. हैदराबाद नगर निकाय की 150 सीटों में सिर्फ 51 सीटों पर ओवैसी ने सियासी बैटिंग की लेकिन उनकी टीम का स्ट्राइक रेट सबसे हाई है. लोकल चुनाव के नतीजों से बीजेपी की लीड पर अब यही कहा जा रहा है कि घाटा टीआरएस को हुआ है और ओवैसी का कुछ नहीं जाता.
ओवैसी के सियासी कद और सियासी वजूद की व्याख्या समझने के लिए हैदराबाद का निकाय चुनाव काफी है. सिर्फ 51 सीटों पर ही चुनाव लड़ा, लेकिन ओवैसी का स्ट्राइक रेट वोटरों पर उनकी मजबूत पकड़ का सबसे बड़ा सबूत है. ओवैसी की पार्टी 51 सीट पर चुनाव लड़ी, 44 सीट पर जीती यानी स्ट्राइक रेट 86 परसेंट से ज्यादा रहा.
वहीं बिहार विधानसभा में धमाकेदार प्रदर्शन के ठीक बाद ओवैसी ने अपनी राजनैतिक प्लान का ऐलान करते हुए बंगाल तक अपने पैर जमाने की बात कही थी. लेकिन बंगाल में बड़े और कड़े इम्तेहान से पहले ओवैसी को हैदराबाद चुनाव में अपनी ताकत दिखानी थी. क्योंकि हैदराबाद ही ओवैसी और उनकी पार्टी से शून्य से अब तक के सफर का गवाह रहा है. ओवैसी ने बीजेपी के हमले से अपने गढ़ को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक थी. बीजेपी के वार पर पलटवार किया.
बीजेपी के भारी चुवा प्रचार के बावजूद ओवैसी को कोई नुकसान नहीं हुआ. चुनावी नतीजों की व्याख्या खुद औवैसी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बातई. इसी में ओवैसी ने आगे का रोड मैप भी बताया. औवैसी ने कहा कि आज रिजल्ट आ गया है. हम आगे बात करेंगे, और उन्होंने केसीआर की तारीफ भी की. इशारे-इशारे में ओवैसी ने सिग्नल दे दिया कि केसीआर के साथ गठबंधन का रास्ता खुला हुआ है. यानी किंगमेकर ओवैसी ही हैं.
हैदराबाद चुनाव के परिणाम के बाद ओवैसी ने आगे की पूरी रणनीति समझाई। जिस भाग्य नगर के भरोसे बीजेपी हैदराबाद में अपना भाग्य खोज रही थी, उसी भाग्यनगर के दांव पर ओवैसी ने योगी को सीधा जवाब दिया था। बरहाल इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी जीत तेजस्वी की ही नज़र आ रही है। जो वाकई में कही ना कही बीजेपी को सोच में डालने के लिए काफी है।
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