रेल्वे मंत्रालयाचे दुर्लक्ष, 40 कामगार गाड्यांचा मार्ग बदलतात, मागे काय प्लॉट आहे ?
by_महेंद्र यादव
देशात 40 ट्रेनों के रास्ता भटक कर सैकड़ों मील दूसरे प्रदेशों तक जाना गलती से नहीं हो सकता। ये जानबूझकर कराया जा रहा है। क्योंकि कौन सी ट्रेन कहां तक पहुंची, इसका सब रिकॉर्ड रहता है। Train running status ऑनलाइन भी चेक हम सब करते ही रहे हैं। इसके पीछे क्या साजिश है, ये समझ पाना अभी मुश्किल है।
खरंच, लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों से दूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए थे, जिसके बाद स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलाई गई और इन ट्रेनों से प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है। लेकिन इसी बीच एक श्रमिक ट्रेन महाराष्ट्र के वसई से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए चली और ओडिशा के राउरकेला पहुंच गयी। रेलवे ने सफाई देते हुए कहा ये गलती से नहीं हुआ बल्कि रूट व्यस्त होने की वजह से ऐसा किया गया।
वहीं अब ऐसी खबर है कि एक-दो नहीं बल्कि करीब 40 ट्रेनों का रास्ता बदला गया है। 40 ट्रेनें अपने रास्ते से भटक गई है। रेलवे सूत्रों ने कहा है सिर्फ शनिवार यानी 23 मई को ही कई ट्रेनों का रास्ता बदला गया, हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि कितनी ट्रेनों का रास्ता बदला है। इसी बीच कुछ सूत्रों से ऐसी जानकारी भी मिल रही है कि अब तक करीब 40 श्रमिक ट्रेनों का रास्ता बदला जा चुका है। रेलवे का कहना है कि इन ट्रेनों का रूट जानबूझ कर बदला गया।
गौरतलब है कि एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन बेंगलुरू से 1450 लोगों को लेकर उत्तर प्रदेश के बस्ती जा रही थी। जब ट्रेन रुकी तो लोगों को लगा वे अपने घर पहुंचा गये लेकिन ट्रेन तो गाजियाबाद में खड़ी थी। पता चला कि ट्रेन को रूट व्यस्त होने की वजह से डायवर्ट किया गया है। इसी तरह महाराष्ट्र के लोकमान्य टर्मिनल से 21 मई की रात एक ट्रेन पटना के लिए चली लेकिन वह पुरुलिया पहुंच गई । रेलवे का तर्क तो यही होगा कि इसे डायवर्ट किया गया है लेकिन रेलवे के इस डायवर्जन से यात्री कितने परेशान हो रहे हैं, उसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है।
इसके अलावा दरभंगा से चली एक ट्रेन का रूट भी बदलकर राउरकेला की ओर कर दिया गया। इस दौरान ये भी ध्यान नहीं रखा गया कि आखिर यात्री क्या खायेंगे-पियेंगे। खुद रेलवे ने कहा है कि कई ट्रेनों का रास्ता बदला गया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव के अनुसार 80 फीसदी ट्रेनें यूपी और बिहार पहुंच रही हैं, जिससे भीड़-भाड़ काफी अधिक बढ़ गयी है। ऐसे में रेलवे को कई ट्रेनों का रूट बदलना पड़ा है।
बता दें कि पहले से ही परेशान प्रवासी मजदूरों से किराया वसूले जाने को लेकर राजनीति तो खूब हो रही है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा। बेंगलुरु से गाजियाबाद पहुंची ट्रेन के यात्रियों ने बताया कि उनसे 1020 रुपए लिए गए हैं, कोणत्या 875 रुपए ट्रेन का किराया है और 145 रुपए बस का किराया है।
लेकिन इस बीच सवाल ये उठता है कि अगर भूलवश ये हो रहा है तो समझ लीजिए पटरियों पर ट्रेनें मनमाने तरीके से खुले सांड़ की तरह घूम रही हैं, जिन पर किसी का काबू नहीं है। मतलब, कभी भी कोई ट्रेन दूसरे तरफ से फुल स्पीड से आ रही है जिसकी वजह से दूसरी ट्रेन से आमने-सामने भिड़ंत भी हो सकती है! ( फलानेहैतोमुमकिनहै ) फिर से कहता हुं, एकमात्र उपाय फलाने का इस्तीफा ही है।
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