लॉकडाउन केवल विपक्षी दलों के लिए: सर्वेश अंबेडकर
अब ये साफ होता जा रहा है कि लॉकडाउन के रूप में भाजपा सरकार के हाथ में इमरजेंसी से भी ज्यादा ताकतवर हथियार मिल गया है जिसका इस्तेमाल वह विपक्ष को निष्क्रिय करने में कर रही है।
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश अनु.जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के नि. अध्यक्ष सर्वेश अंबेडकर ने कहा कि भाजपा अपनी हर तरह की गतिविधियां जारी रखे है, लेकिन विपक्ष पर लॉकडाउन थोपे हुए है।
अनलॉक 3 के साथ ही अब तमाम गतिविधियां शुरू होने लगी हैं लेकिन विपक्ष की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई है।
श्री अंबेडकर ने कहा है कि धर्मस्थल भी खोले जा चुके हैं, धार्मिक आयोजन भी हो रहे हैं, अयोध्या में मंदिर का भूमिपूजन भी प्रधानमंत्री करने जा रहे हैं, लेकिन विपक्ष को कुछ भी करने नहीं दिया रहा है।
भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार गिराने तक के काम करती रही है और अभी भी इस काम में लगी है।
सर्वेश अंबेडकर ने कहा कि यूपी सरकार खुद कोरोना संकट के प्रति गंभीर नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना संकट का सामना करने हेतु केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों में जिस तरह औचित्य और निरंतरता का अभाव दिख रहा है और स्वयं भाजपा के ही नेताओं द्वारा लाॅकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, उससे लोगों के मन में यह संदेह पैदा होता है कि भाजपा सरकार कोरोना और लाॅकडाउन की आड़ में सिर्फ अपना एजेंडा पूरा करने में लगी है।
वैसे यह आंशका अकारण भी नहीं है। अगर आपने पिछले दो-तीन माह के घटनाक्रम को देखा होगा तो आप पाएंगे कि जब कोरोना संकट के कारण देश में अभूतपूर्व आर्थिक मंदी तथा बेरोजगारी की स्थिति है और स्वास्थ्य सेवाओं के लगभग ध्वस्त होने के कारण आम जनता खुद को पूरी तरह लाचार और बेबस महसूस कर रही है, भाजपा सरकार इन विषयों पर ध्यान देने की बजाय रेल, एलआईसी, आयुध कारखाने समेत देश की तमाम सार्वजनिक संस्थाओं को निजी हाथों में सौपने में व्यस्त है। इतना ही नहीं मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के बावजूद मेडिकल काॅलेजों में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।
ऐसे में यह विचार आना स्वाभाविक है कि भाजपा सरकार अपनी जनविरोधी नीतियों के प्रति आम जनता व विपक्षी दलों के आक्रोश से बचने के लिए लाॅकडाउन का सहारा ले रही है और राजनीतिक गतिविधियों की औपचारिक अनुमति नहीं दे रही है। जबकि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता स्वयं इन बातों की परवाह नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।
यह लेख वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र यादव के निजी विचार है।
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