बिहार बोर्ड पर एक बार फिर उठे सवाल
नई दिल्ली
नीतीश कुमार का बिहार में सुशासन मंत्र एक बार फिर गंभीर सवालों के घेरे में है। मसला फिर से एजुकेशन सिस्टम को लेकर है। अभी 12वीं की परीक्षा में हजारों छात्र-छात्राओं के फेल होने का मामला गर्म ही था कि लगातार दूसरे साल टॉपर घोटाले ने नीतीश सरकार की किरकिरी कर दी है। दरअसल, बिहार के समस्तीपुर जिले का आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार संदेह के घेरे में है। उसने कैमरे के सामने कबूल किया है कि उसे संगीत की जानकारी नहीं है, जबकि वह उसी विषय में शानदार नंबर लाकर टॉप करने में सफल रहा है।
विवाद सामने आने के बाद बिहार सरकार ने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी है और संकेत दिया है कि अगर गड़बड़ी पाई गई तो न सिर्फ रिजल्ट रद्द होगा, बल्कि स्कूल के प्रिसिंपल और स्टूडेंट दोनों जेल भी जा सकते हैं। गौरतलब है कि लगातार दूसरे साल इस तरह का मामला सामने आने से नीतीश सरकार बैकफुट पर आ गई है। पिछले साल रूबी राय ने भी इसी तरह टॉप किया था। इस मामले के सामने आने के बाद बिहार सरकार की काफी आलोचना हुई थी और उस मामले में कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा था। हालिया विवाद के बीच राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने गुरुवार को सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की। मुलाकात के बाद चौधरी ने कहा कि सिर्फ निगेटिव बातों का प्रचार किया जा रहा है। टॉपर रहे गणेश के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने उनसे संगीत के बारे में सवाल पूछा, क्या वे संगीतज्ञ थे? केवल निगेटिव बातों का प्रचार किया जा रहा है।’
12वीं के परिणाम घोषित होने के बाद गणेश गायब हो गया था, लेकिन जब वह गुरुवार को समस्तीपुर पहुंचा तो उसने मीडिया के सामने इंटरव्यू में संगीत में जानकारी कम होने की बात कबूल की। उसे संगीत की थिअरी में 18 और प्रैक्टिकल में 65 मार्क्स मिले हैं। उल्लेखनीय है कि समस्तीपुर के जिस स्कूल से उसने परीक्षा पास की है, उसके अंदर भी कई अनियमितता की शिकायतें हैं, जिसके बाद यह मामला और गरमा गया है। बिहार के एक लोकल न्यूज वेबसाइट ने गणेश के स्कूल के प्रिंसिपल का इंटरव्यू किया, जिसमें प्रिंसिपल ने कैमरे के सामने बिहार के गवर्नर और उपराष्ट्रपति तक के नाम गलत बताए। इससे पूरे स्कूल पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। गणेश कुमार ने झारखंड से आकर समस्तीपुर के इस स्कूल को 12वीं परीक्षा देने के लिए चुना था। इससे संकेत जा रहा है कि स्कूल पूरी तरह मेरिट घोटाले में शामिल है। सूत्रों के अनुसार, अभी इसमें कई बड़े खुलासे होने बाकी है
वहीं, सायेंस में लगभग 70 फीसदी स्टूडेंट्स के फेल होने के कारण हजारों स्टूडेंट पहले ही नाराज हैं और सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। गुरुवार को भी प्रदर्शनों को दौर जारी रहा। सबसे अलग बात यह है कि आईआईटी एग्जाम में सफल होने वाले कई स्टूडेंट 12वीं की परीक्षा में फेल हो गए हैं, जिसके कारण पूरे मूल्यांकन सिस्टम पर सवाल उठ गए हैं। हालांकि, बिहार सरकार ने सभी कॉपी की दोबारा जांच के आदेश दे दिए हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए चिंता की बात यह है कि एक साल के अंदर अब तक शिक्षा व्यवस्था से ही 3 बड़ी अनियमितता के मामले सामने आ चुके हैं, जिससे उनकी काफी किरकिरी हुई है। पिछले साल टॉपर्स घोटाले के दाग से अभी उभर ही रहे थे कि इस साल फरवरी में बिहार एसएससी के पेपर लीक ने नीतीश सरकार के कामकाज पर गहरे सवाल खड़े कर दिए। उस मामले में सीनियर आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी और उसके बाद उपजे घटनाक्रम ने नीतीश को बहुत ही कठिन परिस्थिति में डाल दिया था। आईएएस अधिकारी एकजुट होकर नीतीश पर दबाव डालने का आरोप लगा बैठे। मालूम हो कि बीएसएससी की इंटर (12वीं) स्तरीय पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा में क्वेश्चन पेपर और उसके आंसर लीक होने के बाद इसमें बड़े नेटवर्क के शामिल होने की बात सामने आई थी। बीतते समय के साथ यह मामला शांत हो ही रहा था कि एक बार फिर टॉपर स्कैम और खराब रिजल्ट ने नीतीश सरकार को गहरी मुसीबत में डाल दिया है। इन घटनाओं से चिंतित नीतीश सरकार ने आपात बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा करने के साथ ही तुरंत कड़ा ऐक्शन लेने का आदेश दिया है। लेकिन एक साल के अंदर शिक्षा जगत के अंदर 3 बड़ी अनियमितता ने पूरे सिस्टम पर जो दाग लगाया है, उसे धोना अब नीतीश सरकार के लिए उतना आसान नहीं होगा।
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