मोदी सरकार के कार्यकाल में रेल हादसों में हुआ इजाफा, जानिए आंकडे
नई दिल्ली। मुजफ्फगरनगर में हुए भीषण ट्रेन हादसे को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार सवालों के घेरे में हैं, केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। बीजेपी सरकार पर आरोप लग रहा है कि जबसे बीजेपी सरकार केंद्र में आई है तब से रेल हादसों की संख्या काफी बढ़ी है।jj
रेलवे सेफ्टी और यात्री सुरक्षा से जुड़े एक सवाल के जवाब में सात दिसंबर, 2016 को लोकसभा में सरकार ने इस सवाल का लिखित जवाब दिया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुरेश प्रभु ने बताया, “साल 2014-15 में 135 और 2015-16 में 107 रेल हादसे हुए. 2016-17 में नवंबर 2016 तक 85 रेल हादसे हुए.”
रेल मंत्री के मुताबिक, “पिछले दो साल और मौजूदा साल में हुए रेल हादसों की बड़ी वजहें रेलवे स्टाफ़ की नाकामी, सड़क पर चलने वाली गाड़ियां, मशीनों की ख़राबी, तोड़-फोड़ हैं.”
संसद में सरकार ने बताया कि 2014-15 के 135 रेल हादसों में 60 और 2015-16 में हुए 107 हादसों में 55 और 2016-17 (30 नवंबर, 2016 तक) के 85 हादसों में 56 दुर्घटनाएं रेलवे स्टाफ़ की नाकामी या लापरवाही की वजह से हुईं.
शनिवार को हुए मुज़फ़्फ़रनगर के खतौली में भीषण हादसे के ठीक एक महीने पहले रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 19 जुलाई को संसद में बताया था कि बीते पांच सालों (2012-17) में देश में 586 रेल हादसे हुए हैं और इनमें 308 बार ट्रेन पटरी से उतरी है.
इस दौरान इन हादसों में 1011 लोग मारे गए और सिर्फ पटरी से उतरने वाली ट्रेनों ने 347 जानें लीं. खतौली में भी यही हुआ कि पुरी से हरिद्वार जा रही उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई.
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