बिहार में चुनावी सियासत पर दिल्ली की नज़र हुई तेज
Published By- Aqil Raza
By – संतोष यादव
वैसे तो पूरे देश में लोकसभा चुनाव होने हैं लेकिन बिहार की स्थिति एकदम अलग है। अलग होने की एक बड़ी वजह यह है कि यहां दो क्षेत्रीय दलों राजद और जदयू के कंधे पर चढ़कर देश की दो प्रमुख पार्टियों को अपनी राजनीति करनी पड़ रही है। इस बीच नीतीश कुमार के नए नारे ने दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कान खड़े कर दिए हैं। वहीं तेजस्वी यादव के रूख से कांग्रेसी आलाकमान चौकन्ने हो गए हैं।
बताते चलें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के नए नारे ‘मोदी है तो मुमकिन है’ के बदले अपना नारा दिया है। यह नारा है – ‘सच्चा है, अच्छा है। नीतीश कुमार के साथ चलें’। जदयू द्वारा अब जो बैनर व होर्डिंग आदि लगाए जा रहे हैं, उनमें नरेंद्र मोदी को जगह नहीं दी गयी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता का सबब यह भी है।
दिल्ली के सियासी गलियारे में जो बयार बह रही है, उसके मुताबिक चुनाव के बाद यदि भाजपा चूकती है तब नीतीश कुमार अपना पाला बदलने में देर नहीं करेंगे। खासकर यदि कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलती हैं तब वह बारगेन करने की मजबूत स्थिति में होंगे।
वहीं दूसरी ओर राजद खेमे में भी वेट एंड वॉच की रणनीति अपनायी जा रही है। हालांकि तेजस्वी यादव ने फूंक-फूंक कर कदम रखा है और इसके तमाम प्रयास किए हैं कि संपूर्ण विपक्ष को एकजुट रखा जाय। दिल्ली के सियासी गलियारे में जहां एक ओर तेजस्वी की कार्यशैली की सराहना की जा रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि राजद अपनी सीमा में रहे। उम्मीदवारों के चयन को लेकर वह अपनी संप्रभुता खोना नहीं चाहती।
बहरहाल, इतना तो साफ है कि दिल्ली के सियासी गलियारे में जो चर्चाएं चल रही हैं, बेबुनियाद नहीं हैं। नीतीश और तेजस्वी दोनों इस बात का मतलब समझते हैं कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियां भले ही उनके कंधे पर चढ़कर राजनीति कर रही हैं, वे उनके खिलाफ भी हमला करने में देर नहीं करेंगे। जाहिर तौर पर 2020 में होने वाला विधानसभा चुनाव भी मायने रखता है।
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