जाति है कि जाती नहीं…
-चन्द्रभूषण सिंह यादव ~
उफ यह जाति कितनी क्रूर,मगरूर,बेशऊर है कि इसकी गिरफ्त में आया तथाकथित अभिजात्य व्यक्ति जालिमाना,बहशियाना,जंगलीपना स्वभाव का हो जाता है तो सोकाल्ड अवर्ण मेमने की तरह मिमियाता, थरथराता,कंपकपाता नजर आता है।
देश मे रामराज्य परिषद वाले साथियो की सरकार प्रचंड मत से सत्तासीन हो चुकी है।विजय के बाद सोकाल्ड पिछड़े प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने प्रथम सम्बोधन में कहा है कि देश मे अब केवल दो जातियां रहेंगी एक गरीब की और दूसरी गरीबो की मदद करने वालों की।यदि ऐसा है तो मृत डॉ पायल तड़वी किस जाति की मानी जायेगी?डॉ पायल तड़वी के मृत्यु की जिम्मेदार डॉ हेमा आहूजा,डॉ भक्ति मेहर एवं डॉ अंकिता खंडेलवाल किस जाति की मानी जाएंगी जिनके अब्बाजान जज,वकील व उद्योगपति हैं?
ऐसी जानकारी मिल रही है कि डॉ पायल तड़वी अपने आदिवासी इलाके की पहली महिला चिकित्सक बनने जा रही थी जो पीजी(मास्टर डिग्री होल्डर) होती लेकिन जाति ने उसे काल-कवलित कर लिया।
मरना या आत्महत्या कोई विकल्प नही है चाहे जितनी न परेशानियां आएं।भारतीय सन्दर्भ में वंचित समाज की बेटियों को फूलन देवी निषाद को इस हेतु जरूर पढ़ना चाहिए कि प्रतिकूल परिस्थिति में भी कैसे जिया जाता है।मैं यह नही कहता कि अपराधी को सजा देने का निर्णय स्वयं लिया जाय लेजिन इतना तो जरूर कहूंगा कि फूलन जैसा साहस जरूर पैदा किया जाय कि चाहे जितना न अपमान हो पर मरना नही है,स्थिति का डटकर मुकाबला करना है।
रोहित बेमुला की संस्थानिक हत्या हो या डॉ पायल तड़वी की,देश मे बिना पढ़े-लिखों की तो छोड़ियो उच्च/कुलीन व हाई-फाई प्रबुद्ध लोगों की मानसिकता हमे यह दिखाने व जताने को।काफी है कि जाति की जड़ें बहुत गहरी हैं।
मैं निःसंकोच कह सकता हूँ कि हमारे देश की असल समस्या गरीबी नही बल्कि जाति है।भारत मे गरीबी जातिजनित है।जहां उच्च जाति है वहां भौतिक अमीरी का पैमाना 95 फीसद और जातीय श्रेष्ठता अर्थात जातिगत अमीरी का पैमाना 100 प्रतिशत है जबकि वंचित जातियों के पास आरक्षण मिलने के बाद भौतिक अमीरी 5 प्रतिशत और जातिगत गरीबी 100 प्रतिशत है।इस जातिगत गरीबी का ही उदाहरण भौतिक दृष्टि से अमीर श्री अखिलेश यादव जी (पूर्व मुख्यमंत्री) के सरकारी आवास की गंगाजल/गोमूत्र से धुलाई व बाबू जगजीवन राम जी(पूर्व रक्षा मंत्री) द्वारा पंडित सम्पूर्णानन्द जी की मूर्ति के अनावरण के बाद उसकी गंगाजल व दूध से धुलाई है।
हम जातियों की बेड़ियों में जकड़े लोग खुश भी होते हैं कि हम यदुवंशी,जलवंशी,कुशवंशी आदि लोग हैं।हमें चाहे जितना सताओ श्रेष्ठजनों पर हम वंचित लोग आपस मे मिल नही सकते क्योकि जाति है कि जाती नही भले ही आज डॉ पायल तड़वी की शहादत हमने दी,कल रोहित बेमुला की दी थी।
अपनी आदिवासी बेटी की यह ब्यथा रोम-रोम में सिहरन पैदा कर देती है जब यह जानकारी मिल रही है कि उसके आदिवासी होने के नाते उसे रोजाना झिड़कियां सुननी पड़ती थीं,उसे किसी मर्द के सामने नँगा कर दिया गया।उसे मैसेज कर कहा जाता था कि तेरे स्पर्श से नवजात बच्चे अपवित्र हो जाते हैं।बहुत भयानक,विभत्स और कुत्सित होता जा रहा है तथाकथित सभ्य समाज।हम उफ और आह भरने के सिवा कर क्या सकते हैं अपनी इस आदिवासी बेटी के लिए क्योकि अब तो हमारे सत्ताधीश ही बोल रहे हैं कि देश मे दो ही जाति रहेगी एक गरीब की और दूसरी गरीब की मदद करने वालो की मसलन अडानी जी व अम्बानी जी आदि की।
-चन्द्रभूषण सिंह यादव
कंट्रीब्यूटिंग एडिटर-“सोशलिस्ट फ़ैक्टर”
प्रधान संपादक-“यादव शक्ति”
Remembering Maulana Azad and his death anniversary
Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…