बहुजन पीएचडी छात्र के शोषण की कहानी, पढ़िए उसी की जुबानी
बाबा साहेब भीमराव यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने काँलेज प्रशासन पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। य़ह छात्र संस्थान से पीएचडी कर रहा है जिसकी पीएचडी 2010 से शुरू होकर 2018 तक भी पूरी नहीं हो पायी. जिसका कारण कालेज प्रशासन का ढीला रवैया व अनदेखी रहा। बहुजन छात्रों को प्रताड़ित करने का यह मामला नया नहीं है ऐसे न जाने कितने छात्र हैं जो इस जर्जर व्यवस्था से परेशान हैं। छात्र ने हमारे मीडिया संस्थान को अपनी व्यथा के बारे में पत्र लिखा जिसे हम ज्यों का त्यों लगा रहे हैं।
जय भीम, जय मूलनिवासी मैम
मैं आशुतोष कुमार, पत्रकारिता एंव जनसंचार विभाग का पीएचडी का शोध छात्र हूँ। मेरा प्रवेश दिनांक 27 जुलाई, 2010 को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में हुआ था। जैसा कि मैं अपनी पीएचडी 2013 में ही जमा करना चाहता था लेकिन गाइड ने कोई रेस्पॉन्स नही किया जिससे कि मेरी पीएचडी डिले होती गयी।
मैं डॉ रचना गंगवार के अंडर शोध कर रहा हुँ। मैंने शोध प्रबंध 9 जनवरी 2017 को जमा करने की अनुमति मांगी, लेकिन 5 वर्ष से अधिक होने के कारण फाइल कुलपति आर सी शोभती को अनेको बार भेजी गई लेकिन अनुमति नही दी जबकि 13 फरवरी को ही अकैडमिक काँसिल की मीटिंग में रखकर अनुमति दी जा सकती थी। लेकिन नही दी गयी। इसके अलावा कई बार बाम की मीटिंग में भी नही रखा गया फिर सितम्बर 2017 की मीटिंग में अकैडमिक काँसिल ने अनुमति दी और मैने थीसिस बाइंडिंग कराके 22 दिसम्बर 2017 को गाइड, हेड से सिग्नेचर कराकर थीसिस का फाइनल सबमिशन सीओई शोमेश शर्मा नामक ब्राह्मण को कर दिया।
जिसको एक माह से अधिक थीसिस रखने के बाद मेरी थीसिस को 3 फरवरी को शोमेश शर्मा ने थीसिस वापस पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग को वापस कर दी। फिर फाइल कुलपति को भेजी और कुलपति ने पुनः फाइल अकैडमिक कौंसिल भेजी जिसमे जानबूझ कर फिर अकैडमिक कौंसिल ने फाइल वापस कर दी कारण बताया की इसमें मेडिकल नही लगा है। मैंने जब 9 जनवरी 2017 को थीसिस जमा करने के लिए अनुमति मांगी थी तो विभाग ने कहा था कि स्वास्थ्य कारण लिखकर दे दीजिए लेकिन उस समय न ही हेड डॉ गोपाल सिंह, गाइड रचना गंगवार, कुलपति आरसी शोभती थी न ही उस वक्त अकैडमिक कौंसिल ने मेडिकल लगाने को कहा था। अब जब थीसिस मैंने बाइंडिंग कराकर 22 दिसम्बर 2017 को सीओई शोमेश शर्मा को जमा की तो फिर से मुझे फिर से परेशान किया जा रहा है।
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