अमेरिका-चीन में ट्रेड वॉर से भारत को होगा फायदा
चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर के चलते ग्लोबल इकॉनमी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन, भारत के लिए स्थितियां कुछ अलग होंगी। सत्ताधारी दल के लोगों का कहना है कि इस तनाव में भारत के लिए लाभ के मौके पैदा हो सकते हैं। बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शेषाद्री चारी ने कहा कि यदि अमेरिका चीनी मैन्युफैक्चरर्स के खिलाफ कड़ी नीति अपनाता है तो चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को भारत के विशाल बाजार की जरूरत होगी। उन्होने कहा कि चीन को अपनी इकॉनमिक ग्रोथ और घरेलू राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए भारत के बाजार की जरूरत होगी।
इससे भारत को चीन की ओर से दक्षिण एशिया में किए जा रहे दखल का जवाब देने का मौका मिलेगा। शेषाद्री ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘चीन की प्रॉडक्शन की ताकत को एक बाजार की जरूरत होगी, जबकि अमेरिका भविष्य में चीन के लिए मार्केट नहीं होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मौजूदा स्थिति में चीन अपनी इकॉनमी में गिरावट को सहन नहीं कर सकता है। यह शी चिनफिंग के लिए राजनीतिक तौर पर भी रिस्की होगा। उन्हें एक बड़े बाजार की जरूरत होगी और एशिया में हम सबसे बड़े बाजार हैं।’
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन और अमेरिका दोनों ने अब तक यह संकेत दिए हैं कि वे बड़ी ट्रेड वॉर में कूदने नहीं जा रहे हैं। यहां तक कि ट्रंप ने भी चुनाव प्रचार के दौरान चीन को लेकर जो बातें कही थीं, उन पर अमल करना बाकी है। लेकिन, शुक्रवार को ट्रंप और शी के बीच होने वाली मुलाकात अमेरिका के व्यापारिक घाटे को लेकर ट्विटर पर आलोचनाओं के बीच होगी, ऐसे में दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों को लेकर अस्पष्टता है। दक्षिण एशिया को लेकर अमेरिका की नीति में बदलाव भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है। खासतौर पर तब जबकि अमेरिकी की ओर से चीनी इंडस्ट्री को लेकर संरक्षणवादी नीति अपनाई जाती है और पाकिस्तान को सैन्य सहायता में कटौती की जाती है।
वरिष्ठ बीजेपी नेता और वित्त एवं विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा कहते हैं कि यदि अमेरिका और चीन के संबंध बिगड़ते हैं तो भारत अकेला ऐसा देश नहीं होगा, जिससे लाभ लेने की कोशिश करेगा। हालांकि भारत का बड़ा घरेलू बाजार दोनों ही देशों के साथ संबंधों में मजबूती का सबब होगा। सिन्हा ने कहा, ‘भारत का उपभोक्ता वर्ग कई देशों की आबादी से भी कहीं बड़ा है। हम एक बड़े बाजार का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह हमारे लिए सबसे बड़ी बात है। इसके बदले में हम दूसरे देशों से अपने सामान और सेवाओं के लिए बेहतर रिटर्न की मांग कर सकते हैं।’
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