उत्तरी कोरिया पर गहराये जंग के बादल
कोरियाई प्रायद्वीप में जंग के बादल गहरा गए हैं. मंगलवार को अपनी सेना की 85वीं वर्षगांठ के मौके पर उत्तर कोरिया ने बड़े हथियारों के साथ अपने पूर्वी तट पर युद्धाभ्यास शुरू किया है. दक्षिण कोरिया की मीडिया के मुताबिक ये उत्तर कोरिया के इतिहास का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है और इसमें करीब 300-400 विनाशक हथियारों को शामिल किया गया है. तानाशाह किम जोंग उन के प्रशासन ने एक बार फिर अमेरिका को जंग के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है. दोनों ओर से जारी जुबानी जंग के बीच इस इलाके में सेनाओं का जमावड़ा जारी है. अमेरिका और उसके सहयोगी देश दक्षिण कोरिया और जापान अलग से युद्धाभ्यास कर रहे हैं. मंगलवार को ही अमेरिकी नौसैनिक बेड़े की सबसे बड़ी परमाणु पनडुब्बियों में से एक उत्तर कोरिया के बुसान बंदरगाह पर पहुंची. अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस कार्ल विन्सन का जंगी बेड़ा भी जल्द ही उत्तर कोरिया को घेरने के लिए पहुंचने वाला है. इसके अलावा यूएस नेवी का युद्धक पोत यूएसएस वेयन मेयर पीले सागर में दक्षिण कोरिया के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास में जुटा है. एक और अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस फिट्जगेराल्ड जापानी सागर में टोक्यो की नौसेना के साथ ऐसी ही कवायद में जुटा है. एक ओर जहां उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका के खिलाफ कड़े तेवर अपना रखे हैं, वहीं दूसरी ओर ट्रंप प्रशासन पलक झपकने को तैयार नहीं है. प्योंगयोंग पिछले दो सालों में पांच बार परमाणु परीक्षण कर चुका है. इसके अलावा कई मिसाइल टेस्ट भी किये गये हैं. वहीं, ट्रंप प्रशासन ने साफ कहा है कि उत्तर कोरिया के खतरे से निपटने के लिए सभी विकल्प खुले हैं.मंगलवार को सेना के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री पाक योंग सिक ने कहा, ‘अगर दुश्मन हमारी चेतावनियों के बावजूद सैन्य अभियान छेड़ता है तो हमारी सेना आक्रमण करने वालों के ठिकानों का नामोनिशां दुनिया से मिटा देगी.’ इससे पहले 15 अप्रैल को उत्तर कोरिया के संस्थापक किम जोंग सुंग की बरसी के मौके पर भी उत्तर कोरिया ने हथियारों का प्रदर्शन किया था. इससे अगले ब्लास्टिक मिसाइल का परीक्षण भी किया गया. लेकिन वो नाकाम रहा. जानकारों की राय में उत्तर कोरिया ऐसे अहम दिनों पर अपनी ताकत दिखाता रहा है. साल के इन दिनों में उसकी सेना के लिए युद्धाभ्यास कोई नई बात नहीं है. लेकिन ताजा मिसाइल परीक्षणों और दोनों ओर से दिखाए जा रहे कड़े तेवरों के चलते इस बार हालात विस्फोटक लग रहे हैं. अमेरिका मांग कर रहा है कि चीन अपने सहयोगी उत्तर कोरिया को परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए मनाए. चीनी प्रशासन ने इस दिशा में कुछ कोशिशें की भी हैं. लेकिन ये साफ नहीं है कि प्योंगयोंग पर इनका क्या असर होगा. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की अहम बैठक में उत्तर कोरिया के खिलाफ पाबंदियों को कड़ा करने पर फैसला होगा. बुधवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया के हालात पर 100 सांसदों को ब्रीफिंग के लिए बुलाया है.
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Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…