Home International पीएम की मुहिम लायी रंग, ‘मेड इन इंडिया’ ने ‘मेड इन चाइना’ को दी शिकस्त
International - Opinions - March 28, 2017

पीएम की मुहिम लायी रंग, ‘मेड इन इंडिया’ ने ‘मेड इन चाइना’ को दी शिकस्त

संसाधनों की सीमित उपलब्धता के चलते चीन मैन्युफैक्चरिंग में घटिया कच्चे माल का इस्तेमाल करता है। उसके उत्पादों की कलई खुल चुकी है।

जागरण रिसर्च डेस्क। सस्ते और दोयम दर्जे के उत्पादों से दुनियाभर के बाजारों को पाटकर अपनी मैन्युफैक्चरिंग की बादशाहत भले ही चीन दिखाता रहा हो, लेकिन जब बात गुणवत्ता और भरोसे की आती है तो वह भारत में बने उत्पादों से मीलों पीछे छूट जाता है।

यूरोपीय संघ और दुनिया के 49 बड़े देशों को लेकर सोमवार को जारी मेड इन कंट्री इंडेक्स (एमआइसीआइ-2017) में उत्पादों की साख के मामले में चीन हमसे सात पायदान पीछे है। सूचकांक में भारत को 36 अंक मिले हैं, जबकि चीन को 28 से ही संतोष करना पड़ा है। सौ अंकों के साथ पहले स्थान पर जर्मनी, दूसरे पर स्विट्जरलैंड है।
स्टैटिस्टा ने अंतरराष्ट्रीय शोध संस्था डालिया रिसर्च के साथ मिलकर यह अध्ययन दुनियाभर के 43,034 उपभोक्ताओं की संतुष्टि के आधार पर किया। यूरोपीय संघ समेत सर्वे हुए 50 देश दुनिया की 90 फीसद आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। सर्वे में उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा मानक, कीमत की वसूली, विशिष्टता, डिजायन, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, भरोसेमंद, टिकाऊपन, सही तरीके का उत्पादन और प्रतिष्ठा को शामिल किया गया है।
‘मेड इन’ लेबल का इतिहास
बात 19वीं सदी के समापन के दौरान की है। जिस तरीके से आज चीन अपने सस्ते और घटिया उत्पादों से दुनिया के बाजारों को पाट रहा है, तब इसी तरह की कारस्तानी के लिए जर्मनी कुख्यात था। भले ही आज उसके उत्पादों और इंजीनियरिंग का कोई सानी न हो, लेकिन तब वह भारी मात्रा में अपने घटिया और बड़े ब्रांडों की नकल करके बनाए उत्पादों को ब्रिटेन निर्यात कर रहा था। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था डांवाडोल होने लगी। लिहाजा ब्रिटेन ने नकली उत्पादों से बचने को ‘मेड इन’ लेवल की शुरुआत की।
खुली चीन की कलई
संसाधनों की सीमित उपलब्धता के चलते मैन्युफैक्चरिंग में घटिया कच्चे माल का इस्तेमाल करता है। न्यूनतम मजदूरी के बूते उसने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जमकर घटिया और सस्ता माल उतारा। उसके उत्पादों की कलई खुल चुकी है। उत्पाद वैश्विक गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर रहे।
रंग लाई पीएम की मुहिम
सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में विभिन्न योजनाओं के जरिए ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया। इसी का नतीजा है कि भारत पनडुब्बी से लेकर सेटेलाइट तक खुद बनाने में सक्षम हो चुका है। 2014 में देशी कंपनियों द्वारा निर्मित मंगलयान मंगल की कक्षा में पहले प्रयास में स्थापित करने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश बना।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…