गौतम बुध्द ही है विश्वगुरु, गुरू पूर्णिमा की सबको बधाई
आज गुरु पूर्णिमा है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध ने सारनाथ पहुँचकर आषाढ़ पूर्णिमा के दिन अपने प्रथम पाँच शिष्यों को सर्वप्रथम शिक्षा प्रदान की थी। वह दिन आज है। इसे धम्म – चक्क – पवत्तन कहा जाता है।
बौद्ध परंपरा में आषाढ़ पूर्णिमा से वर्षावास प्रारंभ होता है और आश्विन की पूर्णिमा को समाप्त होता है। इसलिए इसे चातुर्मास भी कहते हैं। चातुर्मास में वर्षावास 3 महीने का होता है।वर्षावास ( वस्सावास ) में बौद्ध भिक्षु किसी एक बौद्ध विहार में रहकर अध्ययन – अध्यापन करते हैं, ध्यान – साधना करते हैं। फिर वर्ष के शेष महीनों में चारिका के लिए निकल पड़ते हैं।
पालि में वस्स का अर्थ साल भी होता है, वर्षा भी होता है। तब वर्षाकाल से ही वर्ष की नाप होती थी। इसीलिए वस्स का अर्थ साल और वर्षा दोनों होता है। वर्ष इसी वस्स का अपभ्रंश है।
विश्वगुरु गौतम बुद्ध को गुरु पूर्णिमा के दिन नमन!!!
विश्वगुरु बुद्ध ही थे… इन्होंने ही आषाढ़ पूर्णिमा को पहली बार शिष्यों को गुरु पद से सारनाथ में सार्वजनिक ज्ञान दिया था…. इन्हीं के नाम पर गुरु पूर्णिमा है।
गुरु पूर्णिमा की गरिमा को भारत समझने लगा है….देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने गुरु पूर्णिमा – 2020 की बधाई दी है …और बुद्ध के दिए ज्ञान को आत्मसात करने की बात कही है।
विश्वगुरु ने जिस दिन ज्ञान पाए, वह बुद्ध पूर्णिमा है और जिस दिन ज्ञान दिए, वह गुरु पूर्णिमा है।
विश्वगुरु को पहली बार सार्वजनिक ज्ञान देने का बतौर अंग्रेजी महीना जुलाई है…इसी माह में बौद्धों का वर्षावास आरंभ होता है…पठन – पाठन का दौर शुरू होता है।
भारत के विश्वविद्यालयों में जुलाई से पठन – पाठन का नया सत्र प्रारंभ होने का रिवाज़ की जड़ यहीं बुद्धिस्ट परंपरा है।
बधाई गुरु पूर्णिमा!
लेखक,
राजेन्द्र प्रसाद सिंह
इतिहासकार
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