राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोविड – 19 के संदर्भ मे जारी की दूसरी एडवाइजरी
कोविड – 19 महामारी का मानवाधिकारों पर प्रभाव और भविष्य के परिणामों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई थी जिसमें सामाजिक संस्थाओं, नागरिक संस्थाओं, स्वतंत्र विशेषज्ञ और संबंधित मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे ।
भारत में बेकाबू कोरोना की रफ्तार थमने का नाम ही नहीं ले रही है। देश में कोरोना के नए केस रोज रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। भारत में कोरोनावायरस महामारी से अब हर दिन रिकॉर्ड नए केस मिल रहे हैं। इतना ही नहीं मौतों की संख्या में भी हर दिन इजाफा हो रहा है। पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 4 लाख 12 हजार 262 नए केस मिले। इसके अलावा रिकॉर्ड 3980 मौतें दर्ज की गईं। फिलहाल भारत में कोरोना के 35 लाख 66 हजार एक्टिव केस हैं।

भारत में बेकाबू राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोविड – 19 की दूसरी लहर के दृष्टिगत स्वास्थ्य अधिकार के संदर्भ में दूसरी एडवाइजरी जारी की गई है, संजीव सिन्हा (को- कन्वीनर, जन स्वास्थ्य अभियान) ने इस कोविड एडवाइजरी को जारी किया है उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल प्रभाव से राज्य में लागू करे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की दूसरी एडवाइजरी – मानवाधिकार आयोग ने कोविड – 19 महामारी का मानवाधिकारों पर प्रभाव और भविष्य के परिणामों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई थी जिसमें सामाजिक संस्थाओं, नागरिक संस्थाओं, स्वतंत्र विशेषज्ञ और संबंधित मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे । उक्त समिति के आकलन और सिफारिशों के कोरोना की रफ्तार थमने का नाम ही नहीं ले रही है। देश में कोरोना के नए केस रोज रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं।

जिसमें सामाजिक संस्थाओं, नागरिक संस्थाओं, स्वतंत्र विशेषज्ञ और संबंधित मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे । उक्त समिति के आकलन और सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोविड – 19 के संदर्भ में स्वास्थ्य अधिकार के बारे में पहली विस्तृत एडवाइजरी जारी की थी । इसी क्रम में वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर कोविड -19 की दूसरी लहर के प्रभाव को ध्यान मे रखते हुये दूसरी एडवाइजरी जारी की है।
जिसके प्रमुख 8 बिंदु हैं:
1. तत्काल कदम उठाने योग्य अनुशंसाएँ
2. ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और उपकरणों की व्यवस्था: केंद्र और राज्य सरकारों / संघ शासित प्रदेशों को देश के सभी स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों में ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और उपकरणों की निरंतर, तत्काल और निर्बाध आपूर्ति करने के लिए समन्वय करना चाहिए । ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए ।
3. देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी: कोई भी COVID-19 रोगी जो किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा पर पहुंचता है, तो उसे मुफ्त में उपचार मिलना चाहिए। यदि स्थिति के स्वास्थ्य की गंभीरता के लिए जरूरी देखभाल सेवाएँ उपलब्ध नहीं है, तो स्वास्थ्य विभाग का यह दायित्व होगा कि वह दूसरे सर्वसुविधायुक्त अस्पताल में मरीज को स्वयं पहुंचाए। यदि COVID -19 रोगी किसी निजी अस्पताल में पहुंचता हैं जहां भर्ती के लिए कोई खाली बिस्तर नहीं है, तब अस्पताल को आवश्यक सहायता / सहायता प्रदान करने के लिए सरकारी नोडल अधिकारी से संपर्क कर, जब तक उचित व्यवस्था नहीं की जाती है, तब तक निजी अस्पताल को नोडल अधिकारी द्वारा रोगी को उपलब्ध आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया जा सकता है।
4. सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सेवाओं और बिस्तरों की जानकारी स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में प्रदर्शित करना अनिवारी है और साथ ही यह भी बताना है कि उक्त सेवाएँ निशुल्क है या सशुल्क है।
5. निजी स्वास्थ्य संस्थानों में मिलने वाली सेवाओं के शुल्क की निगरानी की जानी जाए और यह नियंत्रित होना चाहिए।
6. टीकाकरण: देश में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में COVID वैक्सीन का सार्वभौमिक कवरेज और गैर-भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण होना चाहिए, और यदि संभव हो तो, निजी या सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थापना के बावजूद सभी के लिए टीकाकरण मुफ़्त किया जाना चाहिए।
7. COVID प्रोटोकॉल पर सार्वजनिक जानकारी: सभी COVID-संबंधित प्रोटोकॉल, जैसे शारीरिक गड़बड़ी, हर समय ठीक से मास्क पहनना, स्वच्छता, IEC गतिविधियों, सामूहिक सभा पर प्रतिबंध लगाना, आदि का व्यापक और उचित रूप से प्रसार होना चाहिए। प्रभावी होने के लिए, चुने गए संदेशों और मीडिया को सामाजिक निर्धारकों की समझ और आबादी के विभिन्न वर्गों में उचित व्यवहार के लिए बाधाओं पर आधारित होना चाहिए।
8. पर्याप्त कोविड 19 की टेस्टिंग की पर्याप्त एवं समुचित एवं निशुल्क व्यवस्था सभी स्वास्थ्य संस्थानों में होना चाहिए।
हालांकि मानवधिकार आयोग ने कोरोना को लेकर पहले भी कई एडवाइजरी जारी की है जिसे आप इस वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकते है-
और जानकारी के लिए सम्पर्क करें : संजीव सिन्हा – 9140654917 (whatsup No;), लखनऊ
भारत में कोरोना के चलते लाखों लोग अपने परिजनों को खो चुके हैं। इस साल के अप्रैल महीने में महामारी की तीव्रता और सरकार की लापरवाही, दोनों सबसे ज़्यादा देखने को मिली।इसी के साथ, बीते एक हफ्ते में वैश्विक स्तर पर कोरोना के कारण मरने वाले हर चार लोगों में से एक भारतीय था।

डब्लूएचओ (WHO) ने बुधवार को बताया कि पिछले एक हफ्ते में दुनिया भर में दर्ज हुए COVID-19 मामलों में से लगभग आधे भारत से थे।उसने अपनी रिपोर्ट में सूचित किया कि एक हफ्ते में वैश्विक कोरोना संक्रमण मामलों में से 46% मामले भारत से थे। इसी के साथ 25% मौत के मामलें भी भारत से ही थे।
देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते ऑक्सीजन और अस्पताल के बेड की ख़ासा दिक्कत हो गई है। सब चंगा सी’ नहीं रहा। एक साल पहले सरकार को उन्हीं की एजेंसियों ने ऑक्सीजन की कमी के बारे में आगाह किया था।
लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इसका परिणाम सबके सामने है। अप्रैल महीने में कोरोना से मरे लोगों की लाशों का शमशानों और कब्रिस्तानों में अंबार लग गया।अंतराष्ट्रीय मीडिया में भी मोदी सरकार की आलोचना हो रही है। इसी के साथ-साथ सरकार पर ‘इमेज मैनेजमेंट’ के भी आरोप लग रहे।
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