कोरोना महामारी के बीच 2022 विधानसभा चुनाव से पहले यूपी और पंजाब में तेज हुई राजनीतिक हलचल
साल 2022 में पाँच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन पाँच में से चार राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। चूँकि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर जाता है और इतिहास उठा कर देखें तो सर्वाधिक प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हुए हैं या प्रधानमंत्री बनाने में उत्तर प्रदेश का योगदान सामने आता है। ऐसे में केंद्र की सत्ता बचाये रखने के लिए भाजपा का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन चुनावी वर्ष में पार्टी को जिस तरह के अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ रहा है वह पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर पानी फेर सकता है। इसीलिए समय पर हरकत में आते हुए भाजपा आलाकमान ने प्रदेश में पार्टी में उपजे असंतोष को थामने की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जोकि अब तक निर्बाध रूप से सरकार चलाते आ रहे थे, देखना होगा कि क्या अब उन्हें पार्टी में अपने विरोधियों को पहले से ज्यादा अधिकार देने पड़ते हैं या नहीं।
दूसरी ओर कांग्रेस के पास अभी जिन राज्यों में सत्ता है उनमें से पंजाब इसलिए महत्वपूर्ण है कि वहां पार्टी के लिए एक तो राजनीतिक परिस्थितियाँ बेहद अनुकूल हैं दूसरा यह समृद्ध राज्य भी है। हाल ही में नगर निगम के चुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा है। एनडीए से शिरोमणि अकाली दल बादल के अलग हो जाने से भाजपा कमजोर हुई है लेकिन अकाली दल भी अलग-थलग नजर आ रहा है। यही नहीं आम आदमी पार्टी भी वहां टूट के कगार पर है। ऐसी अनुकूल स्थितियों के बावजूद जिस तरह चुनावी वर्ष में नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ मंत्रियों और विधायकों ने बगावत का झंडा बुलंद किया है वह कहीं केरल की तरह पंजाब में भी कांग्रेस की लुटिया ना डुबे दे इसके लिए पार्टी ने बचाव के प्रयास शुरू कर दिये हैं। देखना होगा कि पार्टी इसमें कितना सफल हो पाती है।
इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश और पंजाब में बड़े राजनीतिक बदलाव होने जा रहे हैं? आखिर मजबूती के साथ 2017 में सत्ता में आई भाजपा के अंदर इतनी हलचल क्यों है? क्यों पार्टी लगातार उत्तर प्रदेश को लेकर बैठक कर रही है? उत्तर प्रदेश के लिए संघ हो या फिर भाजपा संगठन दोनों ही सक्रिय हो गए हैं। क्या वाकई उत्तर प्रदेश में सरकार विरोधी लहर तेज हो गई है? क्या उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को लेकर भाजपा में ही गुटबाजी तेज हो गई है?
इसके अलावा पंजाब को लेकर कांग्रेस के सक्रियता यह बता रही है कि वहां सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है और ऐसे ही खबरें लगातार आती भी रही है। प्रताप सिंह बाजवा, नवजोत सिंह सिद्धू तथा कई अन्य ऐसे विधायक हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह पर खुलकर निशाना साध रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं के अंदर असंतोष है। इनमें ज्यादातर वह नेता है जो मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। कांग्रेस द्वारा गठित की गई 3 सदस्य टीम क्या पंजाब में पार्टी के अंदर की गुटबाजी को कम करने में कामयाबी हासिल कर पाएगी? क्या पंजाब में अमरिंदर का कैरियर खत्म होता दिखाई दे रहा है? क्या सिद्धू के चमकने के दिन आ गए हैं?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश और पंजाब में बड़े राजनीतिक बदलाव होने जा रहे हैं? आखिर मजबूती के साथ 2017 में सत्ता में आई भाजपा के अंदर इतनी हलचल क्यों है? क्यों पार्टी लगातार उत्तर प्रदेश को लेकर बैठक कर रही है? उत्तर प्रदेश के लिए संघ हो या फिर भाजपा संगठन दोनों ही सक्रिय हो गए हैं। क्या वाकई उत्तर प्रदेश में सरकार विरोधी लहर तेज हो गई है?
वही कोविड-19 प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के अंदर शिकायती स्वर उभरने के कुछ दिनों बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधामोहन सिंह ने महामारी के प्रबंधन की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए कार्यों को बेमिसाल करार दिया ,ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और उनके स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र सेवानिवृत्त अधिकारी और मौजूदा विधान परिषद सदस्य ए.के. शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष के साथ लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर आए राधा मोहन सिंह ने 31 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट के बाद मंगलवार को उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा से मुलाकात की। हालांकि कल ये खबरें आई कि बीजेपी मंत्रिमंडल में कोई बदलाव नहीं होगा.
इसके साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने दिल्ली में पार्टी महासचिवों की दो दिवसीय बैठक बुलाई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की जाएगी।
पश्चिम बंगाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपना पूरा ध्यान अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकाना चाहती है। इसमें भी यूपी का विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
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