Home International Political अखबारनामा : राजनीतिक हत्या के साथ दिलचस्प दौर में बिहार की चुनावी राजनीति
Political - October 5, 2020

अखबारनामा : राजनीतिक हत्या के साथ दिलचस्प दौर में बिहार की चुनावी राजनीति


दोस्तों, बिहार विधानसभा चुनाव अब दिलचस्प दौर में पहुंच चुका है। इतनी दिलचस्प कि सब हैरान-परेशान हैं। हैरान-परेशान होनेवालों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं। लोजपा नेता चिराग पासवान ने उन्हें सकते में ला दिया है। “मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं” का नारा देकर उन्होंने लड़ाई को नया एंगिल दिया है। वहीं तेजस्वी यादव के लिए भी राहें और मुश्किल हुई हैं। उनके उपर अपने ही दल के एक पूर्व दलित नेता की हत्या करवाने का आरोप लगाया गया है।
आज बिहार के अखबारों में खबरों की भरमार है। सबसे दिलचस्प यह है कि हिन्दुस्तान अखबार के पटना संस्करण में पहले पन्ने से नीतीश कुमार गायब हैं। उनकी तस्वीर राजनीतिक पन्ने पर भी नहीं है। यह हिन्दुस्तान अखबार के मामले में बहुत खास है। सामान्य तौर पर पहले पन्ने पर उनकी तस्वीर प्रमुखता से रहती ही है। हालांकि आज के संस्करण में जदयू नेताओं को प्रमुखता से जगह दी गई है। मसलन पहले पन्ने पर मुख्य खबर है – लोजपा अकेले लड़ेगी बिहार चुनाव। इस खबर में चिराग पासवान के बयान को आधार बनाया गया है जिसमें उन्होंने कहा है कि वे नीतीश कुमार को अपना नेता नहीं मानते। वे उनके नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि उन्होंने भाजपा के साथ अपने संबंधों को खुलकर स्वीकार किया है। 


बिहार की चुनावी राजनीति में चल क्या रहा है, इसे अखबार के राजनीतिक पन्ने पर देखा जा सकता है। हालांकि पहले पन्ने पर ही हिन्दुस्तान ने यह खबर प्रकाशित कर मामले को हवा दे दी है। खबर है – दलित नेता की हत्या, तेजस्वी पर भी केस। मामला पूर्णिया जिले का है। कल राजद के दलित प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश सचिव रहे शक्ति मल्लिक की हत्या उनके घर में घुसकर कर दी गई। उनकी पत्नी ने पूर्णिया के खजांची हाट थाने में मामला दर्ज कराया है। इसमें उन्होंने तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव  और राजद के दलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल कुमार साधु सहित छह लोगों को अभियुक्त बनाया है।


अब इस खबर ने तेजस्वी यादव के विरोधियों को मौका दे दिया है। हिन्दुस्तान ने विरोधी नेताओं के बयानों को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। मसलन, ‘केवल दागी नेताओं को लालटेन की जरूरत’ शीर्षक बयान जदयू नेता नीरज कुमार का है। अखबार ने इसे पन्ने के केंद्र में प्रकाशित किया है। वहीं उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बयान को अखबार ने ‘महागठबंधन में दलितों के लिए जगह नहीं : मोदी’ शीर्षक से प्रकाशित किया है। तेजस्वी यादव पर हमला बोलने वालों में जदयू के संजय सिंह और राजीव रंजन प्रसाद भी शामिल हैं। वहीं राजद की ओर से उसके प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन का बयान एक कॉलम में अखबार के सबसे निचले हिस्से में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने अपने बयान में शक्ति मल्लिक की हत्या को जदयू की साजिश करार दिया है।
यह तो हुईं, वे खबरें जो आज बिहार में सुर्खियों में हैं। अब बात करते हैं कि उन खबरों के बारे में जो हिन्दुस्तान ने प्रकाशित नहीं किया। मसलन शक्ति मल्लिक के मामले में ही अखबार ने यह छापने से परहेज किया है कि एक महीना पहले राजद के दलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल कुमार साधु ने शक्ति मल्लिक को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उनके उपर एक महिला ने ठगी का आरोप लगाया था। तब से शक्ति मल्लिक पानी पाी-पीकर तेजस्वी यादव को कोस रहे थे। उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें वह तेजस्वी यादव पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप लगा रहे थे। साथ ही उन्होंने अंदेश जताया था कि उनकी हत्या हो सकती है। 


दरअसल, बिहार की राजनीति में अब कई सारे चेहरे हैं। इनमें सीएम पद के लिए तो दो चेहरे ही हैं। एक नीतीश कुमार और दूसरे तेजस्वी यादव। लड़ाई इन दोनों के बीच होनी दीख रही है। लेकिन भाजपा की चाल ने नीतीश कुमार को सकते में ला दिया है। जदयू का कोई भी नेता यह मानने को तैयार ही नहीं है कि बिना अमित शाह की शह के चिराग पासवान ऐसा करेंगे। वे यह मान रहे हैं कि सब कुछ अमित शाह के इशारे पर हो रहा है। अमित शाह नहीं चाहते हैं कि इस बार यदि एनडीए को बहुमत मिला तो नीतीश कुमार सीएम हों। 
वैसे लोजपा की भूमिका क्या होने वाली है, इसका आकलन करना जरूरी है। अभी तक यह साफ है कि जहां-जहां जदयू उम्मीदवार होंगे लाेजपा अपने उम्मीदवार उतारेगी। जाहिर तौर पर लोजपा के चिराग पासवान भी बिहार की जातिगत राजनीति को समझते हैं तो वे भी उसी हिसाब से उम्मीदवार उतारेंगे जिस तरह से नीतीश कुमार। मतलब यह कि यदि जदयू किसी विधानसभा क्षेत्र में किसी भूमिहार को उम्मीदवार बनाएगी तो चिराग भी किसी भूमिहार को मैदान में उतारने से पीछे नहीं हटेंगे। वैसे भी लोजपा भले ही रामविलास पासवान, उनके पुत्र चिराग पासवान की प्राइवेट पार्टी हो, लेकिन इसके सूरमाओं में सूरजभान सिंह जैसे शातिर सितारे शामिल रहे हैं।


तो कहने का मतलब यह कि वोट बंटेंगे और यह केवल चिराग पासवान के कारण ही नहीं होगा। वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी के राजद महागठबंधन से अलग होने के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अति पिछड़ा वर्ग में खासकर मल्लाह समुदाय का वोट इस बार न तो जदयू के काम आएगा और न ही राजद के। 
बहरहाल, एक खास खबर जिसे दैनिक हिन्दुस्तान ने बिहारवासियों से छिपा लिया है, वह पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से जुड़ी है। अब वे, उनकी समधिन, बेटा और दामाद चुनाव लड़ेंगे। हिन्दुस्तान अखबार को जीतनराम मांझी का परिवारवाद नजर नही आया है।

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यह लेख वरिष्ठ पत्रकार नवल किशोर कुमार और  सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषण मनीषा बांगर के निजी विचार है ।

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