सीएम योगी का तुग़लक़ी फ़रमान, ऑक्सीजन की कमी पर मीडिया से बात की तो होगी कार्रवाई!
कोरोना से निपटने में योगी सरकार बुरी तरह से नाकाम रही है। अब उसने अपनी नाकामी को छिपाने के लिये अस्पतालों पर डंडा चलाने का फ़ैसला किया है। उसने अपने एक ताज़ा फ़ैसले में ऐलान किया है कि जो अस्पताल अपने यहाँ ऑक्सीजन की कमी की शिकायत कर नोटिस चिपका रहे हैं या इस बारे में मीडिया से बात कर रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

साथ ही उन अस्पतालों को भी नहीं बख्शा जायेगा जो ऑक्सीजन की कमी की वजह से रोगियों की भर्ती नहीं कर रहे हैं या फिर अपने अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं होने का नोटिस चिपका रहे हैं। इसके अलावा इस बात की भी जाँच होगी कि कहीं ऐसे अस्पताल इस तरह की बात कर पैनिक तो नहीं फैला रहे हैं।
‘द टेलीग्राफ’, ने इस बारे में एक खबर छापी है। अख़बार के मुताबिक़, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफ़सरों के साथ एक मीटिंग में इस बाबत आदेश दिये हैं।
25 अप्रैल को हुई इस मीटिंग में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों, डिविज़नल कमिश्नर्स और पुलिस महानिरीक्षकों को साफ निर्देश दिये हैं कि ऐसे अस्पतालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई हो जो ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर रहे हैं और इस बारें में मीडिया को जानकारी दे रहे हैं।

लेकिन सरकार अपनी ग़लती मानने को तैयार नहीं हैं कि उसने समय रहते स्वास्थ्य तंत्र को पुख़्ता नहीं किया। अब यह भी शिकायत मिल रही है कि राज्य में कोरोना के टेस्ट भी ठीक से नहीं हो रहे हैं। मरने वालों की संख्या भी सरकारी आँकड़ों में कम बताये जा रही है।
अख़बार के मुताबिक़ एक अस्पताल पदाधिकारी ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री महादय को अस्पतालों का दौरा करने का न्योता देता हूँ कि वो खुद आकर मुआयना करें और देखें क्या हाल है और कैसे उन्होंने अस्पतालों को अपने हाल पर छोड़ दिया है।” उन्होने फिर कहा, “मुख्यमंत्री को इस बात की चिंता नहीं है कि कैसे श्मशान घाट और क़ब्रिस्तान कम पड़ गये हैं। उनकी चिंता इतनी है कि अस्पताल उनकी कमियों को सार्वजनिक न करें और सच छुपाये।” फ़िरोज़ाबाद के एक डॉक्टर ने अख़बार को बताया कि उन्हें 100 आक्सीजन सिलिंडर की ज़रूरत होती है तो प्रशासन की ओर से सिर्फ़ 10 सिलिंडर मिलते हैं। ऐसे में मरीज़ों का इलाज वे कैसे करे।

अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि शनिवार को आगरा के 10 अस्पतालों ने क़रीब एक हज़ार मरीज़ों को ऑक्सीजन की कमी की वजह से डिस्चार्ज कर दिया। अख़बार ने यह बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के स्थानीय अध्यक्ष डॉक्टर ओ. पी. यादव के हवाले से कहीं है।
सवाल यह उठता है कि योगी सरकार इस तरह के तुग़लक़ी फ़रमान क्यों जारी कर रही है? क्या वह अपनी नाकामी को छिपाना चाहती है? क्या उसे नहीं पता है कि उसके ऐसे बेतुके आदेश से लोगों की जान को ख़तरा होगा?
(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)
The Rampant Cases of Untouchability and Caste Discrimination
The murder of a child belonging to the scheduled caste community in Saraswati Vidya Mandir…