सफूरा को जमानत, कपिल मिश्रा पर कार्रवाई कब ?
दिल्ली हिंसा मामले में जहां एक ओर सफूरा जरगर को जमानत मिल गई है तो वहीं दूसरी ओर कपिल मिश्रा पर अब तक कोई कार्रवाई नही हुई है. केंद्र की मोदी सरकार में दोषी का बचाव और निर्दोष को सजा देने का रिवाज बन गया है. कहीं न कहीं न्यायपालिका भी सही फैसले करने से पीछे हटने लगी है. जो जज सही और न्यायिक फैसले सुनाता है उसका तबादला कर दिया जाता है. तभी तो एस मुरलीधर को दिल्ली हिंसा मामले में फैसला सुनाने के बाद उनका रातों रात तबादला कर दिया गया.
आज भले ही भारत की सबसे बड़ी अदालत कपिल मिश्रा के उस बयान को भड़काऊ ना मान रही हो जिसे उन्होंने दिल्ली दंगों से पहले दिया था, लेकिन अब इस मामले पर फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने चुप्पी तोड़ी है और माना है कि कपिल मिश्रा का बयान साफ तौर पर हिंसा को उकसाने वाला था. जकरबर्ग ने ये बात तब मानी जब उन्होंने कपिल मिश्रा के बयान की तुलना अमेरिकी राषट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उस बयान से की, जिसमें उन्होंने अमेरिका में लगातार बढ़ते प्रदर्शन को देख कहा था कि लूट शुरू होते ही गोली मारने की भी शुरुआत हो जाएगी.
दरअसल, ट्रंप के इस बयान को लेकर फ़ेसबुक की जमकर आलोचना हो रही थी. लोग सवाल उठा रहे थे कि फेसबुक ट्रंप के इस भड़काऊ बयान को क्यों नहीं हटा रहा. इसके जवाब में जकरबर्ग ने कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान का ज़िक्र किया. उन्होंने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अपने 25 हज़ार कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंसा को उकसाने वाले भाषणों के खिलाफ हमारी पॉलिसी है. दुनियाभर में ऐसे नेताओं के भाषणों के उदाहरण हैं जिनको हमने हटाया है. भारत में भी ऐसे केस हुए, वहां किसी ने कहा था कि अगर पुलिस प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाती है तो मेरे समर्थक जानते हैं कि सड़क को कैसे खाली करवाना है.
जकरबर्ग ने आगे कहा कि यह समर्थकों को भड़काने जैसा था इसलिए हमने इसे हटाया भी. लेकिन ट्रंप का बयान शासन को मजबूत करने की तरफ इशारा करता था. वो आपत्तिजनक नहीं था, इसलिए हमने उसे नहीं हटाया. लेकिन इस दौरान जकरबर्ग ने कपिल मिश्रा का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जिस घटना का उदाहरण दिया उससे यह साफ पता चलता है कि वह बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की ही बात कर रहे थे.
बता दें कि दिल्ली हिंसा को उकसाने में कपिल मिश्रा का भड़काऊ बयान माना गया था. दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शन के बीच पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि अगर तीन दिन में उसने प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया तो उनके समर्थक यह काम करेंगे. इसके बाद राजधानी में हिंसा ने उग्र रुप लिया, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और हिंसा आग की लपटों की तरह फैलती रही. लिहाजा इसके बाद भी कपिल मिश्रा को y+ श्रेणी की सुरक्षा दी गई, जो बेहद ही निंदनीय है.
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