राजकोटमध्ये पुन्हा कामगारांचा निषेध, सुनावणी कधी होईल ?
पण पीपीई किट बनवण्याबाबत चांगली कल्पना आहे.. पण पीपीई किट बनवण्याबाबत चांगली कल्पना आहे. 50 एक दिवस उलटून गेला तरी विविध राज्यांत अडकलेल्या मजुरांचा प्रश्न संपण्याचे नाव घेत नाही.. कई मजूदर घर वापस पहुंच गए है लेकिन अब भी सैंकड़ों मजदूर पैदल जाने को मजबूर है. इसी बीच उनको पुलिस की रोक-टोक का सामना भी करना पड़ रहा है. जिसके बाद राजकोट में मजदूरों ने प्रदर्शन शुरु कर दिया है.
खरंच, घर वापस ना पहुंच पाने पर 500 से अधिक मजदूरों का गुस्सा एक बार फिर फूटा. गुजरात के राजकोट में शापर-वेरावल हाईवे पर रविवार को आक्रोशित मजदूरों ने जमकर हंगामा किया. जहां उन्होंने गुस्से में तोडफोड़ की.
मिळालेल्या माहितीनुसार, ये प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य जाने के लिए निकले थे. जब मजदूर निर्धारित स्थान पर पहुंचे तो परिवहन के किसी भी साधन की व्यवस्था नहीं थी. जिसके बाद मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने तांडव मचा दिया. सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस और मजदूरों में हलचल मची. जहां पुलिस अधीक्षक बलराज मीणा को चोटे आई. मजदूरों को शांत करा कर उन्हें घर पहुंचाने का आश्वासन पुलिस की ओर से दिया गया है.
गौरतलब है कि इससे पहले भी हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के बाद गुजरात के राजकोट में भी घर जाने की मांग को लेकर प्रवासी मजदूर सड़क पर उतर आए थे. साथ ही पैदल घर लौट रहे मजदूरों ने हरियाणा के यमुनानगर में हाईवे जाम कर प्रदर्शन किया. तिथेच, उत्तर प्रदेश में भी मजदूरों ने कानपुर लखनऊ हाईवे पर प्रदर्शन किया. दिल्ली में भी यूपी बॉर्डर पर बड़ी तादाद में मजदूर जमा हो गए थे. बता दें कि कुछ दिन पहले सूरत में भी प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था.
बता दें कि मजदूर इस समय काफी सहमा हुआ है. लॉकडाउन के कठिन समय में ना ही सैलरी मिल रही है, ना ही घर जाने का कोई साधन मिल रहा है और कई मजदूरों को तो अपना पेट पालने के लिए रोजी-रोटी तक की किल्लत झेलनी पड़ रही है. ऐसे में मजदूरों ने कई राज्यों में अपना अधिकार मांगने के लिए प्रदर्शन करना ही सही समझा. लेकिन इसके बावजूद मजदूरों के प्रदर्शन पर सरकार की तरफ से कोई सुनवाई नही हुई है. हालांकि देखना ये होगा कि आखिरकार सरकार इनकी मांगों को कब पूरा करती है.
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