Home Social Education शाहीन बाग बस स्टैंड पर बसी किताबों की दुनिया!
Education - Hindi - Human Rights - February 15, 2020

शाहीन बाग बस स्टैंड पर बसी किताबों की दुनिया!

शाहीन बाग में बीते दो महिनों से CAA के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है, जिसके बाद से ही माहौल गर्माया हुआ है. लेकिन इन सबके बीच एक अनोखी पहल देखने को मिली है, दिल्ली के शाहीन बाग के बस स्टॉप पर एक लाइब्रेरी खोली गई है जिससे लोगों को देश में हो रहे प्रदर्शन के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके और लोगों को जागरुक किया जा सके कि क्या सही है और क्या गलत ! इस लाइब्रेरी की खास बात यह है कि जरुरत मंद और जिनके पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नही है वे सभी लोग यहां आकर इसका लाभ उठा सकते है.

इस लाईब्रेरी का नाम फातिमा शेख सावित्री बाई फुले लाईब्रेरी रखा गया है. और इसकी शुरुवात 17 फरवरी को रोहित वेमुला के चौथे शहादत दिवस पर की गई थी. साथ ही इस लाइब्रेरी की शुरुआत करने का लक्ष्य यही है कि लोगों को पूर्णरुप से शिक्षित किया जा सके. आज शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का महिलाएं ठीक उसी तरह नेतृत्व कर रही है जिस तरह कभी सावित्री बाई फुले किया करती थी. वैसे ही जब-जब समाज में कुछ गलत होता है तब-तब नारी में सावित्री नजर आती है और गलत के खिलाफ आवाज उठाती है. उस समय में सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख ने जिस तरह से खुद शिक्षित होकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और उस रुढ़िवादी जमाने में न्याय के लिए लड़ी ठीक उसी तरह आज शाहीन बाग में महिलाएं कर रही है.

वहीं फातिमा शेख सावित्री बाई फुले लाईब्रेरी में पहुंचे लोगों का कहना है कि जिस प्रकार देश में आक्रोश का माहौल बना हुआ है वैसे ही लोगों को गलत और सही दोनों ही जानकारी मिल रखी है जिससे लोगों को चुनाव करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है कि आखिर किस ओर सहमति जताए. इसलिए लोग यहां आकर किताबे पढ़कर अपने आप को शिक्षित कर रहे है, जानकारी ले रहे है कि किस तरह से सही गलत का फैसला किया जा सके और किस ओर अपना रुख लें. दूसरी ओर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ऐसा भ्रम फैला हुआ है कि यह प्रदर्शन सिर्फ मुस्लमानों का है जबकि यहां पूरी जानकारी लेने के बाद पता चल रहा है कि यह प्रदर्शन हमारे संविधान के लिए है, और संविधान किसी विशेष समुदाय का नही बल्कि हर एक का है.

आपको बता दें कि लाइब्रेरी में 50-60 किताबों को छोड़कर सभी किताबें डोनेशन से आती है. इस लाईब्रेरी के नाम से फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर पेज हैं जहां लोगों से अपील की जाती है कि लाईब्रेरी में किताबे डोनेट करे ताकि लोग वहां पहुंचकर किताबों से जुड़ सके, इतिहास के बारे में जान सके और सही-गलत में फर्क महसूस कर सके.

(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुकट्विटरऔर यू-ट्यूबपर जुड़ सकते हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…