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Opinions - April 1, 2018

भारत के महान आध्यात्मिक गुरुओं पर गौर करेगें तो आंखे खुली रह जायेगीं

संजय जोठे

विज्ञान, प्रबन्धन, समाज, मनोविज्ञान और सबसे बढ़कर धर्म की राजनीति और अवसरवाद का वे जैसा इस्तेमाल करते हैं वैसा कोई और नहीं कर सकता।

ये बाबा लोग खुद के बालों में हिजाब की कालिमा लगाकर भी वे आपको चिरयुवा दिखने के लिए तेल, च्यवनप्राश और योगमुद्रा बेचते जाते हैं। और भक्त भी इतने पक्के होते हैं कि वे भी खरीदते जाते हैं। इसी तरह विज्ञान की चाशनी में लपेटकर अंधविश्वास और पाखण्ड बेचा जाता है। भारतीय विश्वगुरु बहुत ही प्रभावशाली ढंग से अलग अलग विषयों को धर्म और रहस्यवाद से लेकर चक्रा हीलिंग, प्राणिक हीलिंग, पास्ट लाइफ रिग्रेशन और सम्मोहन तक में उपयोग कर रहे हैं। उनकी लीला अपरम्पार है। वे सब तरह की बचकानी बहसों से परे हैं।

विश्वगुरु उन विज्ञानों का इस्तेमाल नहीं करते जिनका पूरा सिद्धान्त स्पष्ट हो चूका है, वे न्यूटन या गैलीलियो या कोपरनिकस की बात नहीं करते। वे गति के सिद्धांत या थर्मोडायनमिक्स को छूते ही नहीं ये सब अछूत विषय हैं। गति, द्रव्यमान, मोमेंटम, बल आदि के सिद्धांतों को विश्वगुरु खुद नहीं बल्कि उनके भक्त संस्कृति की रक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं।

गौ रक्षा दल या धर्म बचाओ मंच न्यूटन की क्रिया प्रतिक्रिया के सिद्धांत पर काम करते हैं। विश्वगुरु स्वयं पहली ही फुर्सत में जिन विज्ञानों को उठाते हैं उनमे परमाणु रचना विज्ञानं, फन्डामेन्टल पार्टिकल, क्वांटा और क्वार्क इत्यादि शामिल हैं।
विश्वगुरु की मसाले की पोटली में ये सबसे ऊपर ही रखे रहते हैं, पोटली में हाथ घुसेड़ते ही ये ही पकड़ में आते हैं। इनके साथ अब ब्लैक होल, पैरेलल यूनिवर्स, ग्लोबल कांशनेस और आजकल नए एंजिल्स, स्पिरिट गाइड, मदर क्राफ्ट और न जाने क्या क्या आ गये हैं।

पश्चिम के डरपोक वैज्ञानिक बन्द कमरों और लेबोरेटरीज में इनपर काम करते हैं, लेकिन भारत में इन सबका इस्तेमाल विश्वगुरु खुल्ले आम टेंट लगाकर करते हैं। वो भी ऑन कैमरा। एक ही सिटींग में हजारों लोगों को माइथोलॉजी, हिस्ट्री, सोशियोलॉजी, बायोलॉजी इत्यादि से शुरू करके सीधे क्वांटम फिजिक्स और ब्लैक होल तक पहुंचा देते हैं।

कभी भक्तों के चैनल ठीक से देखिये। यूनिवर्सिटी में जो ज्ञान आपको चार साल की डिग्री में न मिलेगा वो विश्वगुरु घण्टे भर के प्रवचन में सीखा देते हैं। और ऊपर से फ्री का लंगर भी छकाते हैं। तन मन धन की सारी समस्याएं ठीक कर देते हैं और स्वर्ग में रिजर्वेशन भी बोनस में मिल जाता है। आइंस्टीन, मैक्स प्लांक या नील्स बोर इत्यादि ने कल्पना भी न की होगी कि उनकी बनाई क्वांटम फिजिक्स या रिलेटिविटी का विश्वगुरु क्या इस्तेमाल करेंगे।

अभी हरियाणा में एक ओशो आश्रम खुला है जो शर्तिया बुद्धत्व और समाधि में पहुंचता है। वे पैरेलल यूनिवर्स में से ढूंढकर स्पिरिट गाइड और आपकी आत्मा का मदर क्राफ्ट ढूंढकर दिखाते है। सम्मोहन में ब्लैक होल की यात्रा करवाते हुए पिछले जन्मों में ले जाते हैं। कुछ साल पहले पेड़ पौधों से बातचीत करनें की भी ट्रेनिंग देते थे।

कई अन्य गुरु हैं जो ध्यान समाधि की व्याख्या में क्वांटम फिजिक्स को ऐसा लपेटते हैं कि आइंस्टीन सुन ले तो उसकी भी समाधि लग जाए। ये ध्यान समाधि तो ठीक है, ये सिद्धपुरुष लोगों की बिमारी का इलाज भी ब्लैक होल से लाइ भभूत से कर देते हैं।
एक बाबाजी हैं जो तन्त्र की शक्ति से सारे फजीते दूर कर देते हैं। सारे चक्र खोल देंगे, नौकरी लगा देंगे, बांझन को पुत्र देंगे, कोढ़िन को काया दे देंगे और इतना सब करने के बाद खुद के एक सौ पचास किलो के चर्बी के ढेर का इलाज नहीं करेंगे।

अपनी चमत्कारी शक्ति का एक एक कतरा भक्तों पर खर्च कर देते हैं, अपने शरीर के लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखते! कितनी करुणा है उनमे!!!
मित्तरों, विश्वगुरुओं का ज्ञान और करुणा अद्भुत है, और सबसे अद्भुत है उनकी रफ़्तार। आप जब तक स्ट्रिंग थ्योरी और एम् थ्योरी सुलझाते हैं उतनी देर में ये इन थ्योरियों में ब्लैक होल, क्वांटम फिजिक्स और प्राण ऊर्जा इत्यादि का तड़का मारकर न जाने क्या क्या कर डालते हैं।

आपकी थ्योरी जब तक सुलझती है तक ये कई राज्यों की सरकारें तक उलट पलट करके रख देते हैं। बाबाजी वैसे तो आठवीं भी पास नहीं होते लेकिन क्वांटम फिजिक्स से नीचे नहीं उतरते, उनका अपना लेवल है।

दक्षिण में भी सद्गुरुओं की कमी नहीं है वे जन्म मृत्यु और पुनर्जन्म की व्याख्या ब्लैक होल में घुमाकर ही करते हैं। उपनिषद का पूर्ण हो या बुद्ध का शून्य, दोनों के कान पकड़कर इकट्ठे ही ब्लैक होल में घुसेड़ देते हैं।

ये सभी बाबाजी आधुनिकतम विज्ञान के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि आप इनसे छूटकर सच में ही विज्ञान में रूचि न लेने लगें। विज्ञान का ओवरडोज देकर असल में ये बताते हैं कि क्वांटम फिजिक्स भी तुलसी बाबा की चौपाई के आगे नहीं जाता। असली ज्ञान हमसे सीखो। विज्ञानं की फफूंद उड़ाकर थोड़ी देर बहलाते हैं और सीधे आत्मा परमात्मा से चिपका देते हैं।

कोई भी ज्ञान विज्ञान ले आइये, विश्वगुरु उसकी ऐसी भेलपूरी बनाते हैं कि वो वैज्ञानिक इसे देख सुन लें तो खुद को गोली मार लें कि ये सब उसने क्या खोजा था और क्यों खोजा था।

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