बीफ खाने वाले से नहीं ‘मुस्लिम’ नाम से ही चिड़ती है BJP!
By- Aqil Raza ~
यह बात अब बताने की ज़रूरत तो नहीं है कि अब जितना चुनाव करीब आता जाएगा नेताओं कि बयानबाज़ी और वोटो के तुष्टिकरण के लिए नफरतों का बज़ार भी उतनी ही मुस्तेदी से सजाया जाएगा।
इस बाज़ार को सजाने के लिए कुछ कथित नेता आपके धर्म, आपकी जाति, आपकी देशभक्ति यहां तक कि आपके अधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी तक पर वार करेंगे।
इसमें कोई दोहराए नहीं कि ऐसा करने के लिए BJP के नेता हमेशा से अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान देते आए हैं। फिर चाहें वो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हों, कर्नाटक से आने वाले अनंद कुमार हेगड़े हों, त्रिपुरा के सीएम विपलव देव हों, साक्षी महाराज हों, संगीत सोम हों, या फिर विनय कटियार हों, यह फहरिस्त काफी लंबी है।
बहरहाल ताजा मामला मध्यप्रदेश का है भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बीते शनिवार यानी 23 फरवरी को विवादित बयान दिया है। कैलाश ने कहा कि “बीफ खाने वाला जीत जाए यह हमारे लिए शर्म की बात है”।
आपको बता दें कि कैलाश विजय वर्गीय न केवल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासिचव हैं बल्कि वो पश्चिम बंगाल के प्रभारी भी हैं, उनकी ज़ुबान से निकले लफ्ज़ो का कद भले हि घटिया हो लेकिन पार्टी में उनका कद काफी बड़ा है। स्थानीय भाजपा कार्यालय में भोपाल लोकसभा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में कैलाश विजयवर्गीय ने मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भोपाल मध्य विधानसभा सीट से भाजपा के पूर्व विधायक और उम्मीदवार सुरेन्द्रनाथ सिंह की हार को लेकर यह बात कही। उन्हें इस बात का दुख नहीं कि उनकी पार्टी वहां पर हार गई उन्हें इस बात का ज्यादा दुख दिखा कि उनका एक उम्मीदवार मुस्लिम उम्मीदवार से हार गया। जिसे वो बीफ खाने वाला बताकर कार्यकर्ताओं को उकसा रहे थे।
इस बारे में भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने प्रतिक्रिया में कहा, “मुझे विजयवर्गीय के बयान पर अफसोस है. वह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और राष्ट्रीय महासचिव भी है. मैं उनसे माफी मांगने को तो नहीं कहूंगा लेकिन उन्हे अपने शब्द वापस लेना चाहिए.”
मसूद ने आगे कहा, “विजयवर्गीय बताएं कि उन्होंने मुझे कब बीफ खाते हुए देखा है? क्या उन्होंने मेरे साथ दोपहर या रात का खाना खाया है. जहां तक मेरी याददाश्त में है कि मैंने जीवन में कभी बीफ नहीं खाया.”
वैसे आरिफ मसूद ने बीफ खाया या नहीं खाया इसका तो पता नहीं लेकिन उन्हें यह सफाई देने कि ज़रूरत कतई नहीं थी कि वो बीफ नहीं खाते। कोई क्या खाता है क्या नहीं खाता है उसको तय करने वाले यह कौन होते हैं? लेकिन हां अगर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ने यह ज़िम्मदेरी ली है तो उन्हें उन्हीं की पार्टी के कई नेताओं के खाने का मैन्यकार्ड भी बदलना पड़ेगा। क्योंकि वो साफ कह चुके हैं कि वो बीफ खाते हैं।
इसमें सबसे पहला नाम है मोदी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, जिन्होंने अपनी ही पार्टी के राज्यसभा सांसद मुख्तार अब्बास नकबी के बयान का पलटवार करते हुए कहा था कि हां मैं बीफ खाता हूं मुझे कौन रोक सकता है। आपको बता दें की मुख्तार अब्बास नकबी ने कहा था कि जो बीफ खाए वो पाकिस्तान चला जाए।
वहीं गोवा सीएम मनोहर पारिकर अपने राज्य के लोगों को विधानसभा में बोलते हुए यह भरोसा दिलाते हैं कि राज्या में बीफ की कभी कमी नहीं आने दी जाएगी। वो तो यहां तक कहते हैं कि ज़रूरत पड़ी तो पड़ोसी राज्यों से भी बीफ मंगवाया जाएगा।
क्या बीजेपी ने इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की, क्या उन्हें ऐसा बोला गया कि आप बीफ खाते हो तो पार्टी में नहीं रह सकते। अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कैलाश विजयवर्गी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, इससे कम से कम पार्टी का स्टेंड तो क्लियर हो जाता, कि पार्टी बीफ खाने वालों के साथ है या बीफ नहीं खाने वालों के। उधर मुख्तार अब्बास नकबी भी अपने दोनों नेताओं को पाकिस्तान नहीं भेजवा पाए।
सवाल यह है कि बीजेपी हाइकमान अगर इन बयानों से सहमत नहीं है तो अपने इन नेताओं पर पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती है, अगर ऐसा नहीं कर रही है तो क्या यह मान लिया जाए की यह नेता पार्टी के कहने पर ही इस तरह के बयान देते हैं।
~ Aqil Raza
(News anchor & Production team lead, National India News)
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