सहारनपुर में चंद्रशेखर आजाद की रिहाई के लिए भीम आर्मी ने भरी हुंकार
By: Ankur sethi
सहारनपुर। भीम आर्मी संस्ठापक चंद्रशेखर आज़ाद की रिहाई को लेकर देश भर से आवाजें उठने लगी हैं. जिसका बिगुल चंद्रशेखर के जनपद सहारनपुर से बजा. इस सभा का संचालन भीम आर्मी कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया. चंद्रशेखर आज़ाद को रिहा किए जाने, उनके जेल स्थानातरण पर रोक लगाने, गुजरात में दलित उत्पीड़न, इलाहाबाद में हुई दलित छात्र दिलीप सरोज की हत्या के विरोध, हरियाणा में दलित महिलाओं के साथ हुई रेप की घटनाओं व फौजी के परिवार के उत्पीड़न के विरोध, समेत कई मुद्दों को लेकर भीम आर्मी भारत एकता मिशन के संयोजन में हुई इस विशाल जनसभा की शुरूआत राष्ट्रगान से हुई. इसके बाद सभा में उपस्थित पूरे जन समुदाय ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर देश के संवैधानिक ढ़ांचे को षडयंत्रकारी सामंतवादी,मनुवादी और पूंजीवादी शक्तियों से बचाने की शपथ ली.
इस सभा में जिलाधिकारी को सभा की अनुमति देने के लिए धन्यवाद किया गया. भारतीय संविधान में लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने के अधिकार को सुरक्षित और सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका की सराहना की गई. सभा में देशभर से भारी संख्या में जन समुदाय शामिल हुआ और चंद्रशेखर व भीम आर्मी को अपना नैतिक और सामाजिक समर्थन दिया.
इस सभा में उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी महक सिंह ने जेल में बंद भीम आर्मी, भारत एकता मिशन के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद का देश के नाम संदेश भी पढ़ा. जिसमें चंद्रशेखर ने कहा की कुछ था दिल में आप सब से कहना है आज समय है कहने का कि मैं एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद आपसे कोई शिकायकत नहीं करता हूं मैं आपका खून हूं जो कर रहा हूं. अपने समाज व बाबा साहेब, साहेब कांशीराम जी के मिशन के लिए कर रहा हूं. यह किसी पर अहसान नहीं हैं. बस जो आग साहेब कांशीराम व बाबा साहेब और बहुजन महापुरूषों को पढ़कर दिल में लगी थी. उसके लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया है. प्रधानमंत्री जी से आप सब के माध्यम से कहना चाहता हूं कि गुजरात जहां से आप हैं, के पाटन जिले के भाई भानु बनकर जब लोगों को उनकी ज़मीन नही दिला सके तो उन्होंने आत्मदाह कर लिया आपकी सरकार आंखे मूंदे देखती रही. जब आप अपने प्रदेश के दलितों का भला नहीं कर सकते,उनको न्याय नहीं दे सकते तो पूरे देश के दलितों को तो क्या न्याय दे पाएंगे. ऐसे गुजरात मॉडल को आप पूरे देश पर लागू करना चाहते हैं. आपको शर्म आनी चाहिए मुस्लिम भाईयों ने इस देश की आजादी में बहुत कुबार्नी दी है. जिसका इतिहास मिटा दिया गया है. आज उनसे वतन के वफादार होने के सबूत मांगे जा रहे हैं क्योंकि कल के देशद्रोही आज वतन के वफादार बने बैठे हैं. हम इन जहरीले लोगों को देश तोड़ने नहीं देंगे. यह देश हमारा है आप दंगे चाहते हैं मैं अमन चाहता हूं. आप तोड़ना चाहते हैं मैं देश को जोड़ना चाहता हूं क्योंकि मेरी लड़ाई किसी जाति या मजहब से नहीं हैं बस उन से है जो अमन चैन नहीं चाहते हैं.
सभा में अपने संबोधन में भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न सिंह ने कहा कि यह देश संविधान से चलता है न कि मनुवादी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की नीतियों पर, इस देश के हर नागरिक ने सामंतवादी,बाह्मणवादी और पूंजीवादी व्यवस्था को नकार कर लोकतांत्रिक समाजवादी जीवन शैली को चुना है. लेकिन आरएसएस और इसकी सहयोगी शक्तियां देश के संविधान को बदलने के लिए आमादा हो गई है. वह कानून और व्यवस्था के नाम पर आज मनुवादी सोच को लागू करने की साजिशें कर रही हैं. इसका एक सबसे बढ़ा उदाहरण है कि भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद को बिना किसी ठोस सबूतों के जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बंद ही नहीं किया हुआ बल्कि इसे लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है.
अतिथि अध्यक्ष मंडल की ओर बोलते हुए पूर्व आईजी एस आर दारापुरी ने कहा कि भीम आर्मी समेत देश सभी आंबेडकरवादी संगठन किसी जाति विशेष, धर्म विशेष या वर्ग विशेष के खिलाफ नहीं वह संविधान के अनुसार देश की जीवन शैली जीने के लिए प्रतिबद्ध है. इसीलिए भीम आर्मी का पूरा नाम भीम आर्मी भारत एकता मिशन है.
इस मौके पर बोलते हुए पूर्व आईपीएस पृथ्वीराज ने कहा कि इस देश व हमारे संविधान को यह बाह्मणवादी शक्ति पंगु बनाना चाहती हैं. हम यह होने नहीं देंगे और हर संवैधानिक तरीके से इसका विरोध करेंगे. आज देश के विश्वविद्यालयों में घुटन का ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है कि हमारे बहुजन समाज के रोहित वेमुला जैसे छात्रों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. दरअसल यह आत्महत्या नहीं सांस्थानिक हत्या है. यही अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. उनके भय और असुरक्षा का माहौल बनाया जा रहा है.
सभा को संबोधित करते हुए भीम आर्मी के सहारनपुर जिला अध्यक्ष कमल सिंह वालियां ने कहा कि भीम आर्मी एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है. यह मूल उद्देश्य समाज के सबसे वंचित तबकों तक शिक्षा का प्रसार प्रचार करना है. इसीलिए हमने लगभग तीन भीम पाठशालाएं खोली हैं. जिसे आज प्रदेश सरकार दबाव डालकर बंद करना चाहती है. हमने भाई चंद्रेशखर के र्निदेश समय समय पर रक्त दान शिविर आयोजित किए हैं. हमने गरीब लड़कियों की शादी सामाज की मदद से संपन्न कराई हैं.
सभा में देवबंद के जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का दलित मुस्लिम एकता का संदेश भी पढ़ा गया.
जनसभा के अंत में सामूहिक तौर पर एक ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति, केंद्र और राज्य सरकार के लिए जारी किया गया जिसमें चंद्रशेखर को तुरंत रिहा करने व दलितो, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं के उपर हो रहे अत्याचार व शोषण के खिलाफ लड़ने की बात कही गई और सबको संगठित रहने की अपील भी की गयी.
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