भीमाकोरेगांव हिंसा पर मेनस्ट्रीम मीडिया के झूठ का यह रहा असली सच!
नई दिल्ली। भीमाकोरेगांव में हुई हिंसा ने महाराष्ट्र सरकार की लाचार व्यवस्था और मैनस्ट्रीम मीडिया के जातिवादी चेहरे की पोल खोल दी है। भगवाधारी घंटो तक बहुजनों पर पथराव और आगजनी करते रहे लेकिन पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रहा, और बाकि रही कसर मीडिया ने पूरी कर दी। भारतीय मीडिया ने भीमाकोरेगांव के इस कार्यक्रम को अंग्रेजों की जीत का जश्न करार दिया, साथ ही मीडिया ने इस हिंसा को दलित बनाम हिंदू बना दिया।
पहली बात यानी कि मीडिया ने साफ तौर पर यह जाहिर कर दिया कि मीडिया भी एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग को हिंदू नहीं मानती है। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर हर तरफ मैनस्ट्रीम मीडिया की जमकर आलोचना होना शुरु हो गई।
मेनमीडिया ने खूब चीख-चीख कर बताया कि बहुजन सामाज के लोग इस कार्यक्रम के दौरान अंग्रेजों की जीत का जश्न मना रहे थे। जबकि समाज में ऊंच-नीच और जातिवाद की खाई पैदा करने वाले पेशवाइयों के खिलाफ अंग्रेंजो के साथ मिलकर बहुजनों ने इस लड़ाई को लड़ा था। केवल 500 बहुजन नायकों ने 28 हजार पेशवाईयों को धूल चटा दी थी।
जिसके बाद से यह दिन शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसको अंग्रेजों की जीत के मसकद से नहीं बल्कि ब्राह्मणों के जातिवाद की हार के रूप में मनाया जाता है. लेकिन कुछ समय से यहां ब्राह्मण समुदाय इसे मराठाओं की हार के रूप में दिखाने का भ्रम फैला रहा है। कहा जा रहा है यह एससी, एसटी और मराठाओं को लड़ाने की साजिश है जिसमें वे कामयाब होते दिख रहे हैं। दरअसल मराठा ओबीसी श्रेणी में भी आते हैं ऐसे में एससी-एसटी और ओबीसी को लड़ाने की चाल चली जा रही है।
भीमाकोरेगांव हिंसा मामले में मेनस्ट्रीम मीडिया के ब्राह्मणवादी चेहरे की खुली पोल
भीमाकोरेगांव हिंसा मामले में मेनस्ट्रीम मीडिया के ब्राह्मणवादी चेहरे की खुली पोल#BHEEMAKOREGAON
Gepostet von National India News am Mittwoch, 3. Januar 2018
क्यों मीडिया इतिहास को छुपा रहा है क्यों नही बता रहा कि बहुजन समाज के लोग 1 जनवरी को भीमाकोरेगांव में जातिवाद के खिलाफ लड़ी गई पहली जंग का जश्न मना रहे थे, अपने सामाज के नायकों को नमन कर रहे थे। हालांकि मीडिया के भेदभाव की कहानी यह कोई नई नहीं है भारत की मैनस्ट्रीम मीडिया जिसे मनुवादी मीडिया भी कहा जाता है वो हमेशा से बहुजन समाज के साथ भेदभाव और छल करता रहा है।
Protest at Maharashtra Sadan, New Delhi over #BhimaKoregaon violence
Gepostet von National India News am Mittwoch, 3. Januar 2018
The Rampant Cases of Untouchability and Caste Discrimination
The murder of a child belonging to the scheduled caste community in Saraswati Vidya Mandir…