आदिवासी महिला कोरोनाविरूद्ध ढाल करतात, पीपीई किट बनवून महत्त्वपूर्ण योगदान दिले
अशीच एक डोळ्यात पाणी आणणारी घटना यूपीच्या कानपूरमधली आहे, अशीच एक डोळ्यात पाणी आणणारी घटना यूपीच्या कानपूरमधली आहे. मात्र यादरम्यान सर्वाधिक धोका डॉक्टरांवर घिरट्या घालत आहे.. मात्र यादरम्यान सर्वाधिक धोका डॉक्टरांवर घिरट्या घालत आहे.. लेकिन पीपीई किट के बनाने को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. पीपीई किट के अभाव को देखते हुए आदिवासी महिलाओं ने इसे बनाने की पहल की है.
होय होय, देश में पीपीई किट बनाने का प्रोसेस शुरु हो चुका है. और ये काम राजस्थान के डूंगरपुर जिले की आदिवासी महिलाएं कर रही है. उनके इस काम ने डॉक्टरों की चिंता को कम कर दिया है जो बेहद ही सराहनीय है. यहां करीब हजार महिलाएं इस किट को बनाने में अपना योगदान दे रही है. जिससे डॉक्टरों की किट बनने में इजाफा हुआ है और अब लगभग एक दिन में 2 पासून 3 लाख पीपीई किट बनकर तैयार हो रहे है. इस तरह से अब ये महिलाएं भी कोरोना वॉरियर्स की तरह उभर कर सामने आई है.
गौरतलब है कि इन हजार आदिवासी महिलाओं में कुछ महिलाएं ऐसी भी है जो अकेली कमाने वाली है. जिसकी वजह से उनकी रोजी-रोटी चल रही है. ऐसे भी अच्छी बात ये है कि इनको रोजगार भी मिल रहा है. अब ये अपने साथ-साथ देश के लिए भी गर्वित काम कर रही है.
बता दें कि देश में आदिवासियों को पिछड़े वर्ग में गिना जाता है. लेकिन आज यही आदिवासी महिलाएं देश के डॉक्टर्स योद्धाओं की जान की रक्षा के लिए अपना योगदान पीपीई किट बना कर दे रही है. जो देश के लिए गौरव की बात है.
(सहाय्यक प्राध्यापक आर्थिक पाटणा विद्यापीठ, तुम्ही Twitter आणि YouTube वर कनेक्ट करू शकता.)
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