देश में जातिवाद की प्रथा क्यों है जारी ?
By_Arvind Shesh
कोई गोरा श्रेष्ठतावादी नाजीवादी किसी इंडियन नस्ल में पैदा हुए ‘अय्यर’ को थपड़ियाता, धून देता और जलील करता तो वह ‘अय्यर’ छाती पीटता हुआ सारी दुनिया में चिल्लाता और गाना गाता कि उसके साथ अमेरिका जैसे देश में नस्लवादी बर्ताव हो रहा है!
लेकिन अगर वह ‘अय्यर’ अमेरिका में अपने दफ्तर में अपने साथ अपनी मेरिट से काम करने वाले एक दलित को अपमानित करता है, जातिवादी अपमानजनक बर्ताव करता है तो ऐसा करते हुए वह अपनी महान संस्कृति बचाता है! हिंदू और ब्राह्मण संस्कृति ने उसे ‘अय्यर’ का पद बख्शा है तो वह किसी दलित पर जुल्म कर सकता है, उसे अपमानित कर सकता है और अपने ‘अय्यर’ होने पर गर्व भी कर सकता है..!
भारत में तो यह संस्कृति ब्राह्मण-धर्म का जीवन है ही, अमेरिका में जाकर, आधुनिकता और टेक्नोलॉजिस्ट का लबादा ओढ़ कर भी यह संस्कृति बनी रहनी चाहिए! जिस संस्कृति की ये रिवायतें शर्म से डूब मरने के लिए काफी हैं, वे इन ‘नैयरों’ के लिए गर्व का मामला होता है! और भारत के ऊंच कही जाने वाली जात में पैदा हुए क्रांतिकारी या पर-गतिशील नेता भी अपने ऊंच जात वालों को जैसे का तैसा छोड़ कर यानी उनका सामाजिक-राजनीतिक राज बने रहने में मदद करते हुए दलितों के बीच सुधार आंदोलन चलाना चाहते हैं और उनका नेता बनना चाहते हैं!
ये लेख अरविंद शेष के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.
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