जगन्नाथ रथ यात्रा कोरोनाला प्रोत्साहन देते !
ओडिशाच्या पुरीमध्ये 23 सर्वोच्च न्यायालयाने जूनमध्ये सुरू होणारी जगन्नाथ रथ यात्रा दिली आहे., इस यात्रा में हर साल दस लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा होते हैं। दुनियाभर में फैली महामारी कोविड-19 के कहर को देखते हुए, इस बार यात्रा का आयोजन करना लाखों भक्तों को संक्रमित होने के लिए आमंत्रित करने जैसा होगा।
जो लोग कह रहे थे तबलीगी जमात ने कोरोना जिहाद से कोरोना फैलाया था, क्या वह लोग बताएंगे जगन्नाथ रथ यात्रा कोरोना ख़त्म करेगी, अगर रमज़ान में 10 लोग भी मस्जिदों पर इक्कठा हो जाते तो कथित रष्ट्रवादी न्यूज़ एंकर चीख-चीख के अपने गले की नसें फाड़ लेते
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कोर्ट ने कोरोना के समय यह फौसला क्यो दिया। देश में जब कोरोना केस कम थे, तो सभी मंदिर महजीज बंद थे औऱ आज केस 4 लाख से भी पार हो गए है तो , इतने भीड़ वाले यात्रा का परमिशन देना क्या सही है। खैर ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कितना सही है औऱ कितना गलत है ।
वही इस मामले को लेकर कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ यात्रा निकालने की अनुमति दी है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने की, इस दौरान जस्टिस बोबड़े ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान कोर्ट लोगों की सेहत के साथ समझौता नहीं कर सकता, इसलिए शर्तों के साथ ही यात्रा की इजाजत दी जा सकती है।
बेंच ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार इस रथयात्रा के लिए कोविड-19 के दिशा निर्देश तय करेंगी और इनके तहत ही इंतजाम करेंगी। कोर्ट ने आगे कहा कि वो स्थिति को ओडिशा सरकार के ऊपर छोड़ रहा है। अगर यात्रा के चलते स्थिति हाथ से बाहर निकलती दिखे तो सरकार यात्रा पर तुरंत रोक भी लगा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के जजों का इस दौरान यह भी कहना था कि प्लेग महामारी के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के साथ संपन्न कराई गई थी।
देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते भगवान जगन्नाथ की हर साल होने वाली रथयात्रा पर रोक लगा दी थी।
गुरूवार को इससे संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा था कि ‘अगर इस साल हमने रथयात्रा की अनुमति दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे, महामारी के दौरान इस तरह के आयोजन नहीं किए जा सकते हैं। यात्रा पर रोक लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में होगी। ’
ओडिशा के पुरी में हर साल होने वाली इस रथयात्रा के बाद यह उत्सव अगले 20 दिनों तक जारी रहता है। पिछले दिनों एक गैर-लाभकारी संगठन, ओडिशा विकास परिषद ने इस साल रथयात्रा पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
याचिका में कहा गया था कि इस यात्रा में हर साल दस लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा होते हैं। दुनियाभर में फैली महामारी कोविड-19 के कहर को देखते हुए, इस बार यात्रा का आयोजन करना लाखों भक्तों को संक्रमित होने के लिए आमंत्रित करने जैसा होगा।
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