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Culture - Social - Social Issues - July 1, 2020

ज्योतिराव फुले और बाल गंगाधर तिलक के बीच कड़ा संघर्ष क्यों ?

By_Sunil yadav

ओबीसी वर्ग के ज्योतिराव फुले ((11 अप्रैल 1827, मृत्यु – 28 नवम्बर 1890) और चितपावन ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक(23 जुलाई 1856 – 1 अगस्त 1920)के बीच तीखा संघर्ष क्यों होता रहा ?

दोनों के बीच संघर्ष के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे

मुद्दा नंबर 1-

तिलक का मानना था की…जाति पर भारतीय समाज की बुनियाद टिकी है, जाति की समाप्ति का अर्थ है, भारतीय समाज की बुनियाद को तोड़ देना, साथ ही राष्ट्र और राष्ट्रीयता को तो़ड़ना है। इसके बरक्स जोतीराव फुले….जाति को असमानता ,गैरबराबरी, भेदभाव की बुनियाद मानते थे और इसे समाप्त करने का संघर्ष कर रहे थे। तिलक ने…फुले को राष्ट्रद्रोही कहा, क्योंकि वे राष्ट्र की बुनियाद जाति व्यवस्था को तोड़ना चाहते थे।( मराठा, 24 अगस्त 1884, पृ.1, संपादक-तिलक )

मुद्दा नंबर – 2

तिलक ने…प्राथमिक शिक्षा को सबके लिए अनिवार्य बनाने के फुले के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। तिलक ने कहा कि… शूद्र,अतिशूद्र (OBC/SC ST ) समाज के बच्चों को इतिहास, भूगोल और गणित पढ़ने की क्या जरूरत है, उन्हें अपने परंपरागत जातीय पेशे को अपनाना चाहिए।आधुनिक शिक्षा उच्च जातियों के लिए ही उचित है।( मराठा, पृ. 2-3 )

मुद्दा नंबर – 3

तिलक का कहना था कि…सार्वजनिक धन से नगरपालिका को सबको शिक्षा देने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह धन करदाताओं का है, और शूद्र-अतिशूद्र कर नहीं देते हैं।( मराठा, 1881, पृ. 1 )

मुद्दा नंबर – 4

तिलक ने… महार और मातंग जैसी अछूत जातियों के स्कूलों में प्रवेश का सख्त विरोध किया और कहा कि केवल उन जातियों का स्कूलों में प्रवेश होना चाहिए, जिन्हें प्रकृति ने इस लायक बनाया है यानी उच्च जातियां (Bhattacharya, Educating the Nation, Document no. 49, p. 125.)

मुद्दा नंबर – 5

तिलक ने…लड़कियों को शिक्षित करने का तीखा प्रतिरोध और प्रतिवाद किया और लड़कियों के लिए स्कूल की स्थापना के विरोेध में आंदोलन चलाया।( “Educating Women and Non-Brahmins as ‘Loss of Nationality’: Bal Gangadhar Tilak and the Nationalist Agenda in Maharashtra”).

मुद्दा नंबर – 6

जब…. फुले के प्रस्ताव और निरंतर संघ्रर्ष के बाद ब्रिटिश सरकार किसानों को थोड़ी राहत देने के लिए सूदखोरों के ब्याज और जमींदारों के लगान में थोड़ी कटौती कर दी, तो तिलक ने इसका तीखा विरोध किया। हम सभी जानते हैं कि…. राष्ट्रपिता जोतीराव फुले ने 1848 में शूद्रों और अतिशूद्रों के बच्चों के लिए स्कूल खोल दिया था और 3 जुलाई 1857 को लड़कियों के लिए अलग से स्कूल खोला।

लोकमान्य कहे जाने वाले…बाल गंगाधर तिलक से जोतिराव फुले एवं शाहू जी का संघर्ष.. और महात्मा कहे जाने वाले गांधी से डॉ. आंबेडकर के संघर्ष का इतिहास वास्तव मे…ब्राह्मण निर्मित गैरबराबरी, भेदभाव वाले जातिव्यवस्था(DIVIDE and RULE) आधारित राष्ट्रवाद के खिलाफ फूले-शाहू-अंबेडकर (Majority must Rule) का समता, स्वतंत्रता, न्याय, बंधुत्व आधारित जातिविहीन समतामूलक समाज निर्माण का संघर्ष है।

ये लेख सुनिल यादव की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.

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