भीमा कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तारी, और घटना के पीछे की साजिश
भीमाकोरेगांव में हुई हिंसा के आरोप में आज यलगार परिषद और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और उनके परिवारजनों के घर पर छापेमारी हुई जबकि इन दंगों के मुख्य आरोपी संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे सहित हिंदू गुंडा गैंग के लोग खुलेआम घूम रहे हैं। बल्कि चुनाव से पहले किसी दूसरे दंगे की फ़िराक में औरंगाबाद के आसपास गतिविधियां तेज़ की है। मोदी ख़ुद भिड़े को अपना गुरूजी मानता है, तो फड़नवीस सरकार तो भिड़े-एकबोटे के चरण में पड़ी हुई है।
जबकि भिमाकोरेगांव में हुई हिंसा भिड़े-एकबोटे द्वारा प्रायोजित थी, इस मामले में एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन इतने दिनों में भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। घटना की मुख्य गवाह बच्ची पूजा सकट की भी हत्या कर दी गई। पूजा के परिवार सहित वे सारे दलित जो इस मामले में कोर्ट गए और गवाही दी सबको बेतरह टॉर्चर किया जा रहा है। लोग अब भी राहत केम्पों की अमानवीय दशाओं में रह रहें हैं। जो सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में खड़े हुए उन्हें माओवादी बोलकर गिरफ्तार किया जा रहा है। सरकार अपने विरोधियों को हिट लिस्ट पर रखे हुए है।
इसके ठीक दूसरी तरफ पूरे महाराष्ट्र से आरएसएस से जुड़ा हिन्दू आतंकवादी संगठन सनातन संस्था के मुंबई से लेकर कोल्हापुर तक 15 से भी ज्यादा ठिकानों में 50 से ज़्यादा बम, डोनेटर, बारूद सहित कई किलो आरडीएक्स बरामद हुआ है। लेकिन फिर भी सरकार ने ना ही सनातन संस्था पर कोई प्रतिबंध लगाया और ना ही इस मामले में वैभव राउत के अलावा दूसरे सरगनाओं की कोई गिरफ्तारी हुई।
सरकार सिर्फ़ उनके खिलाफ है जो सरकार के ख़िलाफ़ हैं फिर चाहे कोई सवर्ण दलितों को पीटें, किसी औरत को सरेबाज़ार नंगी कर दें, आतंकी गतिविधियां करें, गौ रक्षा के नाम पर मुस्लिमों को निशाना बनाये, सरकारी बैंकों का भट्टा बैठाल दे या सरकारी कंपनियों को 30,000 करोड़ का चूना लगा दे।
~ Deepali Tayday
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