Home Language Hindi ‘दिल्ली से डर लगता है कोई नहीं जानता कि वो कौन से कानून लेकर आ रहे हैं’, गीतकार गुलजार ने ‘मित्रों’ संबोधन का जिक्र कर पीएम मोदी पर कसा तंज
Hindi - Political - Politics - Social - December 30, 2019

‘दिल्ली से डर लगता है कोई नहीं जानता कि वो कौन से कानून लेकर आ रहे हैं’, गीतकार गुलजार ने ‘मित्रों’ संबोधन का जिक्र कर पीएम मोदी पर कसा तंज

देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए उग्र प्रदर्शन के बीच गीतकार और फिल्म निर्माता गुलजार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपने भाषण की शुरुआत में कहा, ‘मैं आपको मित्रों कहकर संबोधित करने वाला था, मगर फिर मैं रुक गया।’ बता दें कि अपनी अधिकतर रैलियों में पीएम मोदी को ‘मित्रों’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए बखूबी देखा गया है।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक गुलजार शनिवार (28 दिसंबर, 2019) को अमर उजाला द्वारा आयोजित एक साहित्य पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि इन दिनों उन्हें दिल्ली के लोगों से डर लगता है, क्योंकि कोई नहीं जानता कि ‘वो कौन सा कानून ला सकते हैं।’ इस बीच उन्होंने उस पुराने वाक्य को याद किया जब अमर उजाला के ग्रुप एडिटोरियल एडवाइजर यशवंत व्यास उनसे मिलने आए। आंधी और माचिस जैसे फिल्मों का निर्देशन कर चुके गुलजार ने कहा, ‘मैं डर गया था।’

उल्लेखनीय है कि पिछले कई सप्ताह से नागरिकता कानून पर विरोध-प्रदर्शनों पर बॉलीवुड में बहुत सी हस्तियों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। हाल ही में बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म ‘गुड न्यूज’ के रिलीज के मौके पर कहा कि उन्हें ‘हिंसा पसंद नहीं है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं हिंसा पसंद नहीं है। फिर चाहे कोई दाए हो या बाएं, बस हिंसा ना हो। संपत्ति को नुकसान मत पहुंचाओं और हिंसा से दूर रहो। जो भी आप एक-दूसरे से कहना चाहते हैं, उसे सकारात्मकता के साथ कहें, एक-दूसरे से बात करें और हिंसा को रोकें। बस किसी की संपत्ति को नुकसान मत पहुंचाइए और किसी को भी ऐसा नहीं करना चाहिए।

इसी तरह अपनी आगामी फिल्म में ‘तानाजी’ की शूटिंग में व्यस्त अजय देवगन ने कहा कि उनके जैसे किसी व्यक्ति के लिए राजनीतिक स्थिति पर टिप्पणी करना खासा जोखिम भरा था, क्योंकि निर्माता का पैसा दांव पर था। उन्होंने आगे कहा कि यह लोकतंत्र हैं और हर किसी को विरोध का अधिकार है। मगर हिंसा समाधान नहीं है। हम बस इतना ही कह सकते हैं।

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