देशात स्थानबद्ध केंद्र आहे, नरेंद्र मोदी यांच्या दावा किती खरे आहे?
घेतलेल्या: NAVAL KISHORE KUMAR
कल एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से झूठ बोला है। रामलीला मैदान में दिल्ली विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि देश में कोई डिटेंशन कैंप नहीं है जहां उन लोगों को रखा जा रहा है जिनके पास भारतीय नागरिकता से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं। मोदी ने यह भी कहा कि 2014 से लेकर अबतक उनकी सरकार ने किसी भी स्तर पर एनआरसी की बात नहीं कही है। असम में एनआरसी की चर्चा करते हुए उन्होंने यह जरूर कहा कि ऐसा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया है।
प्रधानमंत्री का झूठ बहुत देर तक नहीं चल सका। सोशल मीडिया पर इससे संबंधित सारे तथ्य सामने आ गए कि कैसे असम में डिटेंशन कैंप चलाए जा रहे हैं और किन-किन मौकों पर प्रधानमंत्री व गृहमंत्री ने एनआरसी की बात कही है। एक बयान जो अमित शाह का वायरल हो रहा है, वह झारखंड में चुनावी रैली को संबोधित करने के दौरान का है। उसमें वह बता रहे हैं कि कैसे पहले देश में सीएबी आएगा और इसके जरिए तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उन गैर-मुस्लिमों को भारत नागरिकता प्रदान करेगा जिन्हें धार्मिक आधार पर सताया जा रहा है। फिर इसके बाद देश में एनआरसी बनाया जाएगा। इसी वीडियो में वह साफ कहते हैं कि एकबार सीएए लागू होने के बाद देश में घुसपैठिए (मुसलमान) कौन हैं, इसकी पहचान हो जाएगी और उन्हें निकाला जाएगा।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने तो संसद में अपने लिखित जवाब में इसकी चर्चा की है कि असम के डिटेंशन कैंप में कितने बंदी हैं और उनके लिए सरकार की तरफ से किस तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं।
ऐसे में यह सवाल भी बहुत वाजिब है कि प्रधानमंत्री झूठे हैं या फिर गृह मंत्री। लेकिन राजनीति के हिसाब से देखिए तो बात समझ में आएगी कि कैसे सत्ता के लिए प्रधानमंत्री व उनके सहयोगी देश से लगातार झूठ बोल रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में दिए गए बयान को झूठला सकेंगे? क्या वे झूठला सकेंगे कि डिटेंशन कैंपों में अबतक 9 लोक मरण पावले आहेत? क्या वे यह झूठला सकेंगे कि धर्म के आधार पर मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है?
लेकिन हमारा भी दुर्भाग्य देखिए कि हम ऐसे प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं जो झूठ बोलने का विश्व रिकार्ड बना चुके हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि देश की जनता ने उन्हें अपना समर्थन दिया है। लोकतंत्र की यही खासियत भी है और फिर अवगुण भी। सत्ता के लिए जनता की संवेदनाओं के साथ खेलने वाले लोकतंत्र का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन वे अधिक दिनों तक ऐसा नहीं कर सकेंगे, इसका प्रमाण भारतीय जनता ने सीएए-एनआरसी का विरोध कर दे दिया है। यह एक सकारात्मक संकेत है।
~~ नवल किशोर कुमार ~~
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