बहुजन प्रोडक्ट की भारी डिमांड बेचते बेचते थक जाओगे
भारत में जो 15 परसेंट लोग हैं व्यपार पर लेवल उन्हीं लोगों का कब्जा है लेकिन जो बहुजन समाज के लोग हैं. वो व्यापार में राष्ट्रीय और अंतरराष्रीय स्तर पर कम हैं जिसकी वजह से जो आर्थिक समानता नहीं है आर्थिक समता नहीं है आर्थिक समानता आए इसके लिए जो बहुजन समाज के लोग हैं .उन लोगों को भी व्यापार में आमना पड़ेगा व्यापार के अलावना भी जैसे फिल्म इंडस्टी या एडूकेसन उस सभी क्षेत्रों में बहुजन समाज को आगे आना पड़ेगा बहुजन समाज के अंदर हुनर तो उसको अब साबित करना पडेगा. चंद्रभान प्रसाद. दलित अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ता और लेखक वो कहते हैं. आगरा के देवकी नंदन सोन का बनाया जूता जर्मन बाजार में बिक रहा है.
और ऐसा करने के पीछे एक सोच है. दलित अस्मिता की उसे नई पहचान देने की क्योंकि ज्यादा वक्त नहीं बीता जब गुजरात में 13 साल के एक दलित को जींस और चमड़े के जूते पहनने के लिए पीटा गया था. राजस्थान में दलित पुरुषों को रंगीन टोपी पहनने की मनाही थी प्रसाद कहते हैं. साड़ी गुलामी का प्रतीक है. मैं चाहता हूं कि दलित महिलाएं जैकेट और कोट पहनें जिन बहुजन महिलाओं को कभी ब्लाउज पहनने का अधिकार नहीं था वे अब कोट पहनेंगी.
और चंद्रभान प्रसाद इकलौते नहीं हैं. जो ऐसा कर रहे हैं हरियाणा के झज्जर में अक्टूबर 2017 में जय भीम ने सात प्रोडक्ट का निर्माण शुरू किया था. इसमें आंवला हेयर ऑयल और साबुन शामिल है. जय भीम प्रोडक्ट के संस्थापकों में से एक बिजेन्द्र कुमार भारतीय बताते हैं. लोग सोचते थे दलित यानी आरक्षण. लेकिन हम एंटरप्रेन्योरशिप की संस्कृति को विकसित करना चाहते थे. हम इतिहास पर रोना नहीं चाहते लेकिन भविष्य में गर्व के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. इस कंपनी का हेड ऑफिस राजस्थान के भिवंडी में है. कंपनी का दावा है कि पतंजलि उत्पादों की कीमत पर उपलब्ध ये उत्पाद दलित चेतना के उदय के बारे में हैं. उनकी टैग लाइन है: “स्वाभिमान की बात, जय भीम की बात.”भारतीय कहते हैं. जब हमने शुरुआत की तो बहुत से लोगों को जय भीम का नाम इस्तेमाल करने को लेकर संदेह था. हम परवाह नहीं करते. हमें खुद को मजबूत बनाना होगा.
जय भीम लंबे समय से जाति-मुक्ति आंदोलनों का नारा रहा है. जय भीम बोलना बाबासाहेब आंबेडकर के नाम का अभिवादन रहा है. ऐसे समय में जब ‘जय श्री राम’ पहचान की राजनीति से खंडित एक राष्ट्र में वॉर क्राई बन गया है. जय भीम अपने अधिकारों को फिर से प्राप्त करने और अपनी आवाज को बुलंद करने का नारा बन रहा है.
पतंजलि के साथ काम कर चुके भीम आर्मी के सदस्य टिंकू ने 2017 में उत्तर प्रदेश में ‘भीम शक्ति’ डिटर्जेंट पाउडर लॉन्च किया था. BahujanStore.com 2015 में शुरू हुआ था. इसे एक कॉस्मोपॉलिटन अपील के साथ एक ऑनलाइन रिटेलिंग वेंचर के रूप में स्थापित किया गया था.चंद्रभान प्रसाद कहते हैं. हमारा लक्ष्य मध्यम दलित वर्ग है. अगर आप हिंदुत्व के खिलाफ हैं. तो हमारे उत्पाद खरीदें. दलित पहचान की इस ब्रांडिंग और मार्केटिंग से सभी को चिढ़ होती है.चंद्रभान का कहना है कि आकांक्षा पर आधारित मॉडल काम करता है. रिसर्च ने साबित किया है कि अफ्रीकी-अमेरिकी और लैटिन मूल के व्यक्ति ब्रांड में सांस्कृतिक कनेक्शन की तलाश करते हैं.
हालांकि ये पहली बार नहीं है कि प्रसाद दलित अधिकारों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऑनलाइन रिटेल स्पेस में एंट्री कर रहे हैं. 2016 में, उन्होंने आम के अचार, हल्दी और धनिया पाउडर, सूखे मटर और जौ के आटे जैसे उत्पादों के साथ दलीत फुड लॉन्च किया था. वह एक आर्थिक मॉडल बनाने की कोशिश कर रहे थे, जहां दलितों द्वारा बनाए गए खाद्य पदार्थ बेचे जाएं जिसे कोई भी खरीदे. लेकिन ये बंद हो गया. उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पैदा हुए और मुंबई में पले-बढ़े एक आदमी हैं. नाम है सुधीर राजभर. दो साल पहले उन्होंने चमार फाउंडेशन बनाया था. वो कहते हैं. जब मैं देखता हूं कि इस फाउंडेशन के बने लिमिटेड एडिशन बैग को ऊंची जाति के लोग लेकर चलते हैं तो मुझे लगता है कि मैं दलित होने के एहसास-ए-कमतरी को पीछे छोड़ चुका हूं. मैं चमार शब्द को सम्मान दिलाना चाहता हूं.
ब्रांड के हिस्से के तौर पर, राजभर ने मोचियों को मुंबई में संगठित करना शुरू किया. जिससे रबर का बैग बनाया जा सके. इसे बॉम्बे ब्लैक कहा जाता है. एक साल में ही राजभर की पहल ने फैशन में जाति की मौजूदगी को चर्चा में ला दिया. उनका कहना है कि फैशन को मीडियम के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे दलित समुदाय की आवाज उठाई जा सके. यही इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है.इस बीच प्रसाद ने दलित महिलाओं के लिए जैकेट पर काम शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि यह एक आंदोलन है और हम इसे फैशनेबल तरीके से करेंगे. बहुजन प्रोडक्ट बनाने के पीछे का मकसद क्या है.बहुजन समाज वो कर सकता है जिसका सपना ड़ा अबेडकर ने देखा था बहुजन बबिजनेस में सक्रिय हो रहे हैं. पूरे भारत के लोगों को यह पत चले कि बहुजन प्रोडक्ट आ चुका है.
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