Home International Political बच्चे विश्वविद्यालयों में मारे जाते रहें, तो बाल-दिवस कैसे मनाएं?
Political - Politics - Uncategorized - November 14, 2019

बच्चे विश्वविद्यालयों में मारे जाते रहें, तो बाल-दिवस कैसे मनाएं?

आईआईटी मद्रास में एमए फस्ट ईयर की एक छात्रा ने रहस्यमयात्मक तौर से आत्महत्या कर ली है. आत्महत्या करने वाली छात्रा का नाम फातिमा लतीफ है. और केरल के कोल्लम जिले की रहने वाली थी और वो ह्यूमैनिटीज एंड डिवेलपमेंट स्टडीज इंटीग्रेटेड विषय में एमए फस्ट ईयर की छात्रा थी.और अपने क्लास में सबसे टॉपर थी. आशंका जताई जा रही है कि छात्रा ने एक प्रोफेसर के दबाव में आकर आत्महत्या की है. परिजनों के मुताबिक जिस प्रोफेसर पर आरोप है वो छात्रों को परेशान करता था.

फातिमा लतीफ कोई आम लड़की नहीं थी. देश की प्रतिभा थी. एंट्रेंस टेस्ट की टॉपर थी. फातिमा को मारकर उन्होंने देश का नुकसान किया है. फातिमा लतीफ, पायल तड़वी, रोहित वेमुला, बालमुकुंद भारती, अनिल मीणा, विपिन वर्मा, सैंथिल कुमार, मनीष कुमार ये सब जातिवादी एजुकेशन सिस्टम और टीचर्स के शिकार बने. रोहित वेमुला, अनिल मीणा फिर मुंबई में आदिवासी डॉ. पायल तड़वी जिसके जस्टिस के लिए शुरू से अब तक हम लड़ रहे हैं. बाकी अब हमारी मुस्लिम बहन फातिमा लतीफ को जिंदा लाश बना दिया गया. क्या इन मनुवादियों से खुलकर आरपार की लड़ाई नहीं लड़ोगे.


एम्स और महावीर मेडिकल कॉलेज में Sc-St-OBC के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर थोरात और मुनगेकर कमेटी ने रिपोर्ट दिया। रिपोर्ट में सीधा लिखा की Sc-St-OBC के छात्रों के साथ द्रोणाचार्य भेदभाव कर उनको आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं. आपके बच्चों की हत्याएं करना जिनका शौक है, उन #JusticeforFathimaLateef
जेएनयू जैसे संस्थान भी तभी बचेंगे जब हम सुनिश्चित करें कि द्रोणाचार्योंकानाशहो किसी एक की बात नहीं है. सबको बारी-बारी से मार रहे हैं. इसीलिए विरोध का स्वर और तेज़ होना जरूरी है.

जवाहर लाल नेहरु बड़े ठरकी थे या ABV, आप जानते हैं. लेकिन क्या आप ये भी जानते हैं कि आईआईटी की टॉपर छात्रा फातिमा को मरने पर विवश करने वाले दोनों प्रोफेसर अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं. प्रो. हेमचंद्रन कराह व प्रो. मिलिंद ब्राह्मे को ये सहन नहीं होता था कि एक मुस्लिम लड़की टॉप करती है, और उनकी जाति के लड़के फिसड्डी रह जाते हैं.

फातिमा की संस्थागत हत्या के मामले को हल्का करने के लिए वे बाल दिवस और उसके विरोध में ठरकी दिवस मना रहे हैं. आप बखूबी जानते हैं कि उन पर आपको रिएक्ट करना ही नहीं है. हमारे पास अपने जरूरी मुद्दे हैं.बच्चे विश्वविद्यालयों में मारे जाते रहें, तो बाल-दिवस कैसे मनाएं. उनकी राजनीति का सवाल है. वो नेहरू के दरबार में हाजिरी न लगाएंगे तो उनकी माइनस मार्किंग हो जाएगी इसलिए वो फातिमा की बात नहीं करेंगे आज. इसीलिए चुनावों में पिटते हैं. लेकिन आपको तो ये डर नहीं है. दोषियों को जेल पहुंचाने में मदद करें.

(महेन्द्र यादव)

(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुकट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…