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Political - Politics - November 2, 2019

झारखंड 81 सीट और 5 चरणों में चुनाव बीजेपी की चाल?

झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीति सरगर्मीया तेज हो गई है. सभी राजनीतिक दल गाहे बगाहे अपनी तैयारियां में जुट गए है. इसी कड़ी में आरोप और प्रत्यारोप का दौर भी जारी है. वहीं झारखंड में हरियाणा से भी कम विधानसभा सीटें हैं. झारखंड में महज 81 विधानसभा सीट है लेकिन निर्वाचन आयोग पांच चरणों में वहां चुनाव कराने का एलान किया है. वहीं 30 नवम्बर को पहले चरण का मतदान होगा और अंतिम चरण 20 दिसम्बर को. लेकिन नतीजे 23 दिसम्बर को आयेंगे. अब आप खुद ही शोध कर पता लगा लीजिए, दुनिया के किस लोकतांत्रिक देश के 81 सीटों वाले राज्य में पांच चरणों का चुनाव हुआ. कब और कहां हुआ . पर झारखंड में हो रहा है. क्या वजह है. हरियाणा और महाराष्ट्र से कोई खास सबक मिला है.

क्या लोग यही कयास लगा रहे है कि जिस तरिके हरियाणा और महाराष्ट्र में जनता ने बीजेपी पार्टी को धुल चटाई वो कही ना कही आगामी विधानसभा चुनाव में होने वाले झारखंड में बीजेपी के लिए सबक है.. या फिर ये पांच चरणों में क्यों क्या आधार हैं. क्या तर्क हैं या सिर्फ मन मर्ज़ी.अब जरा 2014 के आकड़ो पर नजर डालते है 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 37 सीटें जीती थी. जबकि इससे ठीक पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां की 14 में से 12 सीटों पर कब्जा किया था. झारखंड मुक्ति मोर्चा यानि JMM 2014 के विधानसभा चुनावों में 19 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही थी. राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा यानि JVM ने आठ और कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (AJSU) ने पांच सीटें जीती थीं और अन्य ने छह सीटे जीती थी. 2019 के आमचुनाव में भी बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए ने 12 सीटों पर जीत दर्ज कराई.

हालांकि, आम चुनाव से ठीक पहले यहां आम राय थी कि JMM, कांग्रेस, JVM और RJD का महागठबंधन BJP को कड़ी टक्कर देगा.. यही नहीं, लोग हेमंत सोरेन में अगला मुख्यमंत्री भी देखने लगे थे कि विधानसभा चुनाव में यही महागठबंधन जीतेगा. लेकिन पुलवामा आतंकी हमले और फिर बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक ने पूरा माहौल बदल दिया. लेकिन इस बार की तस्वीर बदलती नजर आ रही है. झारखंड में जिस तरिके जनता का मूड बना हुआ वो कही ना कहीं बीजेपी को तगड़ा जटका दे सकता है..बहरहाल चुनावों का ऐलान हो चुका है. लेकिन महागठबंधन को लेकर विपक्ष अब तक एकजुट नहीं दिख रहा है. JVM के महागठबंधन में शामिल होने को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं है. बाबूलाल हेमंत सोरेन को नेता मानने को तैयार नहीं हैं और सभी सीटों पर लड़ने की बात कर रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस कह रही है, उनको मना लिया जाएगा. JMM और कांग्रेस के बीच अब तक सीटों का बंटवारा तक नहीं हो पाया है और न यह तय हो पाया है कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा.

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