योगी सरकार ने होर्डिंग हटाने के आर्डर को SC में दी चुनौती, कोर्ट ने स्टे हटाने से किया मना!
यूपी में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वाले 57 लोगों के पोस्टर लखनऊ में योगी सरकार ने लगवाए थे. जो प्रदर्शनकारियों की निजी जानकारियां उजागर कर रही थी जिन्हें सार्वजनिक स्थानों पर लगाया गया था. जिसके बाद इलाहबाद हाई कोर्ट ने होर्डिंग हटाने के आदेश दिए थे. लेकिन लगता है योगी सरकार अपने इस फैसले से पीछे नही हटना चाहती जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
वहीं इस मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार के इस फैसले पर असहमति जताई है. अदालत ने आगे कहा कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वालों के पोस्टर लखनऊ में लगाए जाने का यूपी सरकार के फैसले पर तीन सदस्यीय पीठ विचार करेगी. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे नहीं लगाया है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यूपी सरकार की ओर से दलील पेश करते हुए कहा कि कि निजता के अधिकार के कई आयाम हैं. लेकिन यहां सार्वजनिक स्थल पर हिंसको ने तोड-फोड़ की. मीडिया ने वीडियों बनाए और सभी ने देखे. ऐसे में आप राइट टू प्राइवेसी के अधिकार का दावा नही कर सकते. कोर्ट ने कहा है कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है और यूपी सरकार से पूछा है कि क्या उनके पास इस तरह के पोस्टर लगाने की पावर है. कोर्ट ने योगी सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए यह भी पूछा है कि आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पोस्टर हटाने के फैसले को लेकर चुनौती दी गई. लेकिन कोर्ट ने कहा कि आगे की सुनवाई के लिए मामला तीन जजों की बेंच को भेज दिया गया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया है.
बता दें कि यह होर्डिंग कोर्ट की इजाजत के बिना लगाए गए है. जो बिना कोर्ट की इजाजत के लगाना कानून के सख्त खिलाफ है. लिहाजा इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए पोस्टर हटाने के आदेश दिए थे जिसको योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाने से साफ मना कर दिया है.
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