रौंगटे खड़े कर देने वाली रोहित की दास्तां जिसे कोई नहीं भुला सकता!
नई दिल्ली। 17 जनवरी 2016 का वो दिन जब हैदराबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे छात्र रोहित वेमुला की मौत की खबर सामने आई। सुनकर सनसनी मच गई। बहुजन आंदोलन को धार देने वाले रोहित वेमुला का जन्म 30 जनवरी 1989 को आन्ध्र प्रदेश में हुआ था। बहुत ही मुफलिसी में जीवन गुजराने वाले रोहित वेमुला कड़ी मेहनत कर और भविष्य के बहुत सारे सपने संजोये हैदराबाद विश्विविद्यालय पहुंचे। लेकिन जातीय हिंसकों की साजिशों ने उन्हें जीने नहीं दिया।
दो साल हो गए रोहित वेमुला को हमारे बीच से गए हुए लेकिन वो आज भी हमारे दिलों में जिंदा है और रहेंगे। दरअसल 26 साल के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला और उनके चार साथियों को युनिवर्सिटी के अधिकारियों ने हॉस्टल से निकाल दिया था। और उनकी छात्रवृत्ति रोक दी गई थी। साथ ही हर सार्वजनिक स्थान पर छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंधित लगा दिया था। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक सदस्य ने इन छात्रों पर मारपीट करने का आरोप लगाया था।
आखिर रोहित का अपराध क्या था? वो अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। वो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विषयों पर अपनी राय रखते थे। वो हमेशा मृत्युदंड देने के खिलाफ थे। जिसकी वजह से स्थानीय सांसद ने उन्हें राष्ट्रविरोधी ठहरा दिया था। इस समाज में सैंकड़ों ऐसे बुद्धिजीवी हैं, जो कि मृत्युदंड के पक्ष में नहीं हैं, पर ये बातें अगर कोई बहुजन समाज का प्रतिनिधि करता है, तो श्रेष्ठ हिन्दू कुलीन समाज को ये स्वीकार नहीं होताI
आत्महत्या से पहले रोहित ने अपनी पीड़ा को जाहिर करते हुए पत्र में लिखा था “इंसान की कीमत उसके तात्कालीकन पहचान एंव निकटतम संभावनाओं तक सीमित रह गई है। एक वोट, एक संख्या, एक वस्तु कभी एक व्यक्ति को उसकी बुद्धिमत्ता से नहीं आंका गया।”
रोहित ने अंत में लिखा था कि उसकी मौत का सामना शांति और धीरज से किया जाए. वजह साफ़ है जो रोहित को खुदकुशी की ओर ले गई, वो है ‘राष्ट्रवादी दहशत’ के आगे शिक्षित समुदाय का आत्मसमर्पण। रोहित की मानसिक स्थिति को इस स्तर तक पहुंचा दिया गया कि उन्होंने आत्महत्या का फैसला ले लिया। रोहित के अंतिम खत से पहले भी उसने एक खत वीसी को लिखा था। उसमें उनकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता था।
रोहित की मौत को 2 साल हो गए लेकिन सरकार की छत्रछाया में पल रहे कातिलों को अभी तक आंच नहीं आई है। साथ ही इस आत्महत्या के लिए जिम्मेदार माने जा रहे वीसी अप्पाराव को सजा की बजाय प्रधानमंत्री ने खुद बेस्ट शिक्षक के अवार्ड से सम्मानित किया। भले ही रोहित ने अपने सुसाइड नोट में आत्महत्या के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया हो लेकिन उनकी मौत तमाम सवाल छोड़ गई है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक वैज्ञानिक की तरह सोच रखने वाला इंसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया।
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