Home State Delhi-NCR SSC SCAM: मोदी सरकार हो या गोदी मीडिया किसी को नहीं महसूस हो रहा छात्रों का दर्द!
Delhi-NCR - Opinions - Social - State - March 18, 2018

SSC SCAM: मोदी सरकार हो या गोदी मीडिया किसी को नहीं महसूस हो रहा छात्रों का दर्द!

By: Sushil Kumar

नई दिल्ली। पूरे 20 दिन हो गए एसएससी मुख्यालय पर छात्रों को प्रदर्शन करते हुए, सिर्फ दिल्ली में ही नहीं पूरे देश में सरकार और सिस्टम के खिलाफ छात्रों में भयानक आक्रोश है. एक युवा जिंदगी के ढ़ेर सारे सपने देख कड़ी मेहनत कर नौकरी पाने की उम्मीद में दिन रात पढ़ाई करता है और जब खबर मिलती है कि पेपर ही लीक हो गया तो उसके सारे सपने बिखर जाते हैं! सरकार और सिस्टम से भरोसा उठ जाता है। सवाल यह है हर साल लाखों-करोड़ों युवाओं को रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार आज इनकी समस्याओं को लेकर गंभीर क्यों नहीं है? मोदी सरकार जीएसटी, नोटबंदी, आधारकार्ड और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम करती है लेकिन रोजगार के मुद्दे पर क्यों खामोश है?

प्रदर्शन कर रहे इन छात्रों की मांग है कि एसएसएसी स्कैम के खिलाफ सीबीआई जांच होनी चाहिए, हालाकिं सरकार ने सीबीआई जांच की बात कह दी है लेकिन जांच की प्रक्रिया कहां तक पहुंची इसका कोई अता-पता नहीं है! देश में जांच एजेंसियां किस तरह काम कर रही हैं इससे भी हम सब वाकिफ हैं। दो साल हो गए नजीब को लापता हुए जिसकी जांच यही सीबीआई कर रही है आज तक कोई सुराग नहीं लगा है।

युवाओं के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करने वाले नेता भी इन प्रदर्शनों में कहीं नजर नहीं आते ठीक उसी तरह जिस तरह बड़े चैनलों के कैमरों की इन पर नजर नहीं जाती। छात्रों का कहना है कि हमें लिखित में कोई नोटिस नहीं मिला है जिससे यह माना जाए कि सीबीआई जांच कर रही है. उनका कहना है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण आना चाहिए और दोषियों को सजा होनी चाहिए. साथ ही उन्हें सरकार नौकरी के लिए वैंकसी निकालकर पूरी पारदर्शिता के साथ एग्जाम कराए।

यूपी के रामपुर में छात्रों के साथ टीचर्स ने भी प्रोटेस्ट किया और सरकार से एसएससी स्कैम की निष्पक्षता से जांच कराने की मांग की। समस्या गंभीर है क्योंकि सवाल देश की सबसे बड़ी आवादी का है लेकिन समस्या यह भी है कि युवाओं को लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया का रवैया भी बेरुखा है. जिस तरह सरकारों को युवाओं की समस्या गंभीर नहीं लगती उसी तरह मीडिया को भी यह कोई गंभीर मुद्दा नहीं लगता। चैनलों में हिंदु- मुस्लिम, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर बड़ी बड़ी डिवेट होंगी, 2019 में मोदी सरकार को विपक्ष कैसे टक्कर देगा इस पर बहस होगी लेकिन देश का युवा नौकरी के लिए सड़कों पर मारा-धारा फिर रहा है, शिक्षक परेशान हैं किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है लेकिन इसकी किसी को फिक्र नहीं है। न ही तो सरकारों को और न ही मीडिया को। हद तो तब हो जाती है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेरोजगारी के सवाल पर युवाओं को पकोड़े बेचने की सलाह देकर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम करते हैं!

लखनऊ में जब बीजेपी मुख्यालय पर बीटीसी अभ्यार्थी नौकरी की मांग करने के लिए प्रदर्शन करते हैं तो उन पर लाठीचार्ज कर दिया जाता है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या सरकारों में इतनी क्षमता नहीं कि वो युवाओं को नौकरी दे सकें? क्यों जब नौकरी की मांग की जाती है तो कभी पकोड़े बेचने की सलाह मिलती है, तो कभी उन पर लाठिया पड़वा दी जाती हैं. हिंदू-मुस्लिम टॉपिक पर चर्चा करने वाले एंकर क्यों बेरोजगारी को लेकर सरकारों से सवाल नहीं पूछते?

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