Home Opinions ‘उदा देवी पासी’ एक ऐसी बहुजन वीरांगना जिसने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
Opinions - Schedules - Social - State - November 17, 2018

‘उदा देवी पासी’ एक ऐसी बहुजन वीरांगना जिसने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।

“हेट्स ऑफ ब्लैक टाइग्रेस…..
उदा देवी पासी की अद्भुत और स्तब्ध कर देने वाली वीरता से अभिभूत होकर जनरल कॉल्विन केम्बैल ने अपना हेट उतारकर उनके सम्मान में श्रद्धांजलि देते हुए ये शब्द कहे थे।”

आज उदा देवी पासी का शहीदी दिवस है…..💐

सिर्फ़ अछूत जाति की होने की वजह से इतिहास में उदा देवी पासी को यथोचित स्थान नहीं मिला। सवर्णों का लिखा हुआ इतिहास भी जातिवादी है लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आपके नायक-नायिका कौन हैं?

उदा देवी पासी भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाली महान वीरांगना है। अवध के नवाब वाज़िद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थी। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था। लड़ाई के दौरान वें पुरुषों के वस्त्र धारण कर बंदूक-गोले-बारूद के साथ एक पेड़ पर चढ़ गई, उन्होंने ब्रिटिश सैनिकों को जब तक लखनऊ के सिकंदर बाग में प्रवेश नहीं करने दिया जब तक की उनके पास गोला-बारूद ख़त्म नहीं हो गया। 16 नवंबर 1857 को उन्होंने 32 ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतारा। जब वे पेड़ से उतर रहीं थी तब उनका पूरा शरीर गोलियों से छलनी कर दिया गया। उनकी अद्भुत वीरता को देखते हुए ब्रिटिश सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे कैम्पेबल ने भी अपना हेट उतारकर झुके सिर के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।

इंग्लैंड के प्रसिद्ध हिस्टोरियन क्रिस्टोफर हिब्बाट ने अपनी बुक ‘The Great Mutiny India,1857 में इस घटना का बहुत बारीकी से विवरण दिया है। उस समय ‘लंदन टाइम्स’ ने भी एक स्त्री द्वारा इतनी दिलेरी से लड़ने और ब्रिटिश सेना को नुकसान पहुंचाने की ख़बर छापी थी। उन दिनों उदा देवी कई दिनों तक अख़बारों में छाई रहीं।

एक मुस्लिम शासक बिना जाति भेद किए बहुजन महिला को सैनिक बना सकता है पर हिंदू सवर्ण नाम लेने से तक छुआ-छूत करता है। बहुजनों ने स्वतंत्रता दिलाने में क्या योगदान दिया है, कौन हमारे योद्धा हैं, सब पन्ने इतिहास से मिटा दिए गए हैं, हमारी सांस्कृतिक पूँजी को एक साज़िश के तहत मिटा दिया गया है। इतिहास दोबारा लिखा जाए तो हज़ार परतें मिल जाएंगी हमारे लोगों की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

बाबा साहेब को पढ़कर मिली प्रेरणा, और बन गईं पूजा आह्लयाण मिसेज हरियाणा

हांसी, हिसार: कोई पहाड़ कोई पर्वत अब आड़े आ सकता नहीं, घरेलू हिंसा हो या शोषण, अब रास्ता र…