मेरठ: गोपी की मौत के बाद हमले से डरे लोग, पलायन पर मजबूर
मेरठ। भारत बंद के बाद मेरठ जिले के शोभापुर गांव में मातम की स्थिति है। यहां पर 28 साल के बहुजन युवक गोपी पारिया की गोली मारकर हत्या कर दी थी। SC-ST ACT को लेकर हुए भारत बंद के दौरान कुछ सवर्णों ने व्हासएप्प लिस्ट बनाकर कई बहुजन युवकों के नाम उसमें जोड़ दिए जिसमें गोपी पारिया का नाम सबसे ऊपर था लिस्ट वायरल होने के दो दिन बाद गोपी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि सूची किसने तैयार की थी। स्थानीय बहुजन परिवारों का कहना है कि क्षेत्र में गोपी के बढ़ते प्रभाव से कुछ लोग परेशान थे। उनका दावा है कि उच्च जाति के लोगों द्वारा कड़ा संदेश देने के लिए गोपी को बदले की आग में मारा गया।
इस लिस्ट में दूसरे बहुजन युवकों का भी नाम है जिन्हें स्थानीय पुलिस को सौंपा गया था। गोपी की हत्या के बाद उनके मन में भी डर बैठ गया है और इसलिए वह हमलों के डर से गांव छोड़ कर जा रहे हैं। जो बहुजन युवक यहीं पर रुके हुए हैं उनका कहना है कि वह 14 अप्रैल को प्रतिरोध की भावना को जिंदा रखने के लिए आंबेडकर जयंती मनाएंगे।
शोभापुर गांव के रहने वाले 41 वर्षीय अशोक कुमार का कहना है, ‘गोपी की हत्या और हमारे बच्चों के गांव छोड़कर जाने की वजह से इस बार 14 अप्रैल का आयोजन पहले जैसा नहीं होगा। लेकिन अगर हम आंबेडकर जयंती नहीं मनाएंगे तो यह उच्च जाति के लोगों की दूसरी जीत जैसी होगी। हम इसे होने नहीं देंगे।’
बता दें कि 4 अप्रैल की देर शाम शोभापुर निवासी गोपी पारिया को गांव में गोली मार दी गई थी। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उसकी मौत की खबर मिलते ही जिला प्रशासन ने मामले की संवेदनशीलता को भांपते हुए गांव में आरएएफ, पीएससी और कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गई थी।
गोपी की हत्या को लेकर बहुजन व गुर्जर्रो का अपना-अपना पक्ष है। गांव में 90 फीसदी बहुजन आबादी है। 30-32 परिवार गुर्जरों के है। शेष 10-12 परिवार अन्य जाति के हैं। दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान मृतक गोपी गांव के बहुजन युवाओं को लीड करता देखा गया था।
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